Tourist spot : देश-दुनिया से नक्सलियों का बहाना बनाकर देश का सबसे बड़ा जलप्रपात को छुपाया है, जलप्रपात में नही है कोई सुविधा,यहां पहुंचने वाले सैलानियों में देखी जा रही बड़ी नाराजगी , हांदावाड़ा वाटरफॉल में बाहुबली फिल्म बनाने की बात चली थी ।
Tourist spot : देश-दुनिया से नक्सलियों का बहाना बनाकर देश का सबसे बड़ा जलप्रपात को छुपाया है, जलप्रपात में नही है कोई सुविधा,यहां पहुंचने वाले सैलानियों में देखी जा रही बड़ी नाराजगी , हांदावाड़ा वाटरफॉल में बाहुबली फिल्म बनाने की बात चली थी ।
Narayanpur – अबूझमाड़ की शान हांदावाड़ा जलप्रपात, सुविधाओं से वंचित अपनी बदहाली व प्रशासनिक उदासीनता के चलते सुविधाओं की बाट जोह रहा है | दूर दराज से पहुंचने वाले सैलानी कठिनाई भरा सफर तय कर असुविधा से घीरे जलप्रपात पहुंच रहे है | जिन्हें ना ही जाने के लिए ठीक तरह से मार्ग की सुविधा मिल पा रही है ना खाने पीने की अन्य सुविधाएं.
नारायणपुर जिला मुख्यालय से महज 80 किमी की दूरी पर प्राकृतिक वातावरणों से घिरा हंदावाड़ा जलप्रपात जो कि ओरछा मुख्यालय के काफी नजदीक है | जहां शहर के लोगों के अलावा दूर दराज दूसरे प्रदेश से भी सैलानी इस प्रकृति के मनोरम दृश्य को देखने पहुंचते है | बारसूर से नजदीक होने के कारण हंडावाड़ा में सैलानियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती चली जा रही है | परंतु इस मार्ग में एवं जलप्रपात के समीप किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं होने के कारण उन्हें परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है. जलप्रपात के मनोरम दृश्य को देखने दूर दराज से लोग पहुंचते है परंतु उन्हें किसी प्रकार की सुविधा नहीं होने के कारण बड़ी परेशानियो का सामना करना पड़ता है.
हर वक्त मिलने वाले सैलानीयो में से नारायणपुर, जगदलपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, कोण्डागांव, बस्तर, रायपुर, कांकेर , धमतरी, भानुप्रतापुर, बालोद,राजानंदगांव से पहुंचने वाले सैलानियों की संख्या सबसे ज्यादा होती हैं, जो हमेशा मीडिया से शिकायत करती है रोड़ पुलिया होती तो और अच्छा होता, साथ ही खाने पीने की व्यवस्था गांव वालो के हाथ में होता तो और अच्छा होता , गांव की पारंपरिक खाना हमें खाने को मिलता साथ ही साथ गांव में रहने वालो को रोजगार भी मिलता जिनकी अर्थव्यवस्था सुधर जाती ।
दूसरी प्रदेश से आने वाले सैलानी
तेलंगाना ,उड़ीसा ,आंध्र प्रदेश ,महाराष्ट्र मुख्य है।
दूसरे प्रदेशों से परेशानियों भरा सफर करके जब अबूझमाड़ में हंदावाडा का दर्शन होता हैं तो एक ही शिकायत होता है रोड और खाना-पीना का व्यवस्था तो होता भूख प्यास से जान निकली जा रही है।
मुख्य संपादक -: बिन्देश पात्र