header ads
छत्तीसगढ़जगदलपुरबस्तररायपुरशिक्षासामान्य ज्ञानस्वास्थ्य

गांव का हर बचपन का गूलर के फूल से कोई न कोई कनेक्शन ज़रुर होता है।

गूलर: बड़े काम का है यह पौधा विवाह में रस्म अदायगी से लेकर आयुर्वेद के पन्नो तक फैला गूलर के हर भाग की अपनी उपयोगिता हैं।
गांव के लोग कुएं की खुदाई गूलर के छाये में करना बेहतर समझते थे । ऐसा करने से पानी औषधीय गुणों से समाहित हो जाता था । गांव का हर बचपन का गूलर के फूल से कोई न कोई कनेक्शन ज़रुर होता है।

कहते हैं गूलर का फूल जिस चीज में डालो वह खत्म ही नहीं होती ।अब बाल मन की कल्पना, कौतूहल और लालच बचपने को गूलर के छांव मे घंटो टकटकी लगाए रहता।

गूलर
भरपूर प्रयास के बाद आज तक फूल न दिखा किसी को।दिखे भी कैसे यह तो फल में ही निपट जाता हैं।
बहरहाल गूलर का हर भाग बेहद फायदेमंद हैं। कच्चा फल हरे रंग का होता है जबकी पकने के बाद लाल हो जाता है। गूलर में फाइटोकेमिकल्‍स (Phytochemicals) होते हैं जो रोगों से लड़ने में हमारी मदद करते हैं। गूलर का उपयोग मांसपेशीय दर्द, मुंह के स्वस्थ्य में, फोड़े ठीक करने में , घाव भरने , बवासीर के इलाज आदि में किया जाता है। गूलर में एंटी-डायबिटिक, एंटीऑक्‍सीडेंट, एंटी-अस्थमैटिक, एंटी-अल्सर, एंटी-डायरियल और एंटी-पायरेरिक गुण होते हैं। इसके फलों के रस का उपयोग कर हिचकी (Hiccup) का इलाज किया जाता है।
गूलर हर किसी को लगाना चाहिए।लाखो किट पतंग के लिए यह बहुत फायदेमंद हैं ।

Bindesh Patra

युवा वहीं होता हैं, जिसके हाथों में शक्ति पैरों में गति, हृदय में ऊर्जा और आंखों में सपने होते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!