NARAYANPUR: पद्मश्री से सम्मानित वैद्यराज हेमचंद मांझी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मां दंतेश्वरी की पावन धरा छोटे आमाबाल आगमन पर हैलीपेड में किया आत्मीय स्वागत
पद्मश्री से सम्मानित वैद्यराज हेमचंद मांझी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मां दंतेश्वरी की पावन धरा छोटे आमाबाल आगमन पर हैलीपेड में किया आत्मीय स्वागत
प्रधानमंत्री जी और प्रदेशवासियों से मिले सम्मान से मेरा उत्साह और बढ़ गया- वैद्यराज हेमचंद मांझी
नारायणपुर, 9 अप्रैल, 2024- पद्मश्री से सम्मानित दूरस्थ वनांचल नारायणपुर छोटेडोंगर निवासी वैद्यराज हेमचंद मांझी ने देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मां दंतेश्वरी की पावन धरा स्व . दादा बलिराम कश्यप जी की कर्मस्थली बस्तर लोकसभा क्षेत्र के छोटे आमाबाल (भानपुरी)आगमन पर हैलीपेड में आत्मीय स्वागत किया।
ग़ौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में रहने वाले वैद्य हेमचंद्र मांझी ने अपना पूरा जीवन इन्हीं जड़ी-बूटियों की खोज की और लगभग पांच दशकों से हजारों लोगों को ठीक किया है। आम जनता की इस अहर्निश सेवा के चलते केंद्र सरकार ने इन्हें पद्मसे सम्मानित करने का निर्णय लिया। वैद्यराज ने छत्तीसगढ़ का गौरव पूरे देश में बढ़ाया है। परंपरागत जड़ी-बूटियों के माध्यम से अनेक बीमारियों में लोगों का उपचार किया है। अमेरिका जैसे देशों से भी पेशेंट वैद्यराज के पास आते हैं।
उल्लेखनीय है कि मांझी ने छोटे डोंगर में ऐसे समय में लोगों का जड़ी बूटियों से इलाज करने का निर्णय लिया जब यहां स्वास्थ्य सुविधाएं बिल्कुल नहीं थी। परिवार में किसी के वैद्य के पेशे में नहीं होने के बावजूद उन्होंने सेवाभाव के चलते यह निर्णय लिया। उनके अनुभव के चलते उनका ज्ञान बढ़ता गया और नारायणपुर के अलावा दूसरे जिलों के मरीज भी उनके पास आने लगे।
वैद्य मांझी ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हम तो सेवा का कार्य कर रहे थे। लोगों का उपचार कर रहे थे और खुश थे। जब पता चला कि मोदी जी ने पद्मश्री के लिए चुनने का निर्णय लिया है तो पहले तो आश्चर्य हुआ। हमें लगा कि दिल्ली में भी बैठकर मोदी जी की सरकार पूरे देश में हो रहे अच्छे कामों पर नजर बनाये हुए हैं और सेवा का काम करने वालों को सम्मानित करते जा रही है।
मांझी ने बताया कि बस्तर की वनौषधियों में जादू है। हम जंगल से अलग-अलग तरह की जड़ी-बूटी इकट्ठी करते हैं। इन्हें उचित अनुपात में मिलाते हैं और अलग-अलग तरह की बीमारियों का इस तरह से उपचार करते हैं। नाड़ी देखकर मर्ज का पता लगाते हैं और इसके मुताबिक इलाज करते हैं। कई बार जब एलोपैथी से लोग कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज के संबंध में हतोत्साहित हो जाते हैं तब वे यहां आते हैं और ईश्वर की अनुकंपा से हमारी औषधियों के कमाल से वो ठीक हो जाते हैं।
मांझी के पास हर दिन अमूमन सौ से अधिक मरीज पहुँचते हैं। कल भी असम और आंध्रप्रदेश से कुछ मरीज पहुंचे थे। मांझी यह सब मामूली शुल्क में करते हैं। जो खर्च वे लेते हैं वो दवाइयों के बनाने में लगता है। उन्होंने बताया कि वनौषधियों में उपयुक्त मात्रा में शहद, लौंग एवं अन्य मसाले डालने होते हैं। उनका खर्च हम मरीजों से लेते हैं। उन्होंने बताया कि जब तक साँसों में साँस हैं तब तक यह सेवा का काम करता रहूँगा।
वनमंत्री एवं नारायणपुर विधायक केदार कश्यप ने मांझी से कहा कि आप सेवा का काम कर रहे हैं। ये बहुत पुण्य का काम है। आपकी विद्या से बहुत सारे लोग ठीक हो रहे हैं। आपको पद्म श्री मिलने से आपकी ख्याति और भी फैलेगी। आप आने वाली पीढ़ी को इसकी शिक्षा दें। यह बहुत मूल्यवान विद्या है इसे आपकी पीढ़ी में ही समाप्त नहीं होना चाहिए। मांझी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी और आपसे मिले सम्मान से मेरा उत्साह और बढ़ गया है। अभी नई पीढ़ी को नाड़ी से मर्ज जानना सिखा रहा हूँ अब जड़ी-बूटी के गुणों के बारे में भी बताऊंगा।