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कला और संस्कृतिपरम्परागत

Narayanpur : 30 वर्ष पश्चात कुपाल परिवार का भव्य जातरा, पुरखों से चली आ रही संस्कृति युवाओं के लिए महत्वपूर्ण

30 वर्ष पश्चात कुपाल परिवार का भव्य जातरा


नारायणपुर-  जिले के डुमरतराई कुपाल आमा बनवाड़ी में आदिवासी संस्कृति अनुसार चार दिवसीय जातरा का आयोजन किया गया,जिसमे कुपाल परिवार द्वारा पुरखो के बताए मार्ग का अनुकरण करते हुए दिनांक 03.04.2024 को विभिन्न परगना से देवी देवताओं को सादर आमंत्रित किया गया।

जिसमें मुख्य रूप से कुपाल परिवार की इष्टदेवी गट्टाकालीन हिंग्लाजिन माता,बंजारीन माता,बाबा कुडुमतुला(इष्टदेव) पुजारी डिकेश्वर देहारी,सोनकुंवर बाबा,रनहा देव,गढ़िया बाबा,शीतला माता,मावली माता,लालसाय कुंवर के अतिरिक्त अन्य देवी देवता का शुभ आगमन हुआ।

निर्धारित कार्यक्रम अनुसार सेवा,पूजा,अर्जी के बाद भव्य रूप से ढोल, नंगाड़ो के धुन के साथ देवी देवताओं का खेल, नाचना,कूदना प्रारंभ हुआ,जो हर किसी के मन को मोहित कर लिया। जिसमें श्रद्धापूर्वक दूर दूर से आए माता,बहन,बच्चे व परबुधजनों ने आशीर्वाद प्राप्त किया।

कुपाल परिवार आदिवासी हल्बा समाज की सबसे प्राचीन परिवारों में से एक है इनका टोटम चिन्ह कछुआ है।जिसका पर्यायवाची कच्छप, कूर्म,कश्यप,कच्छ आदि होने के कारण उपजाति के रूप में प्रयोग करते है। कुपाल परिवार में ही विशेष रूप से तीन साल या तीन माह पूर्व माघ माह में परिवार की खुशहाली,शांति और कुटुंब की रक्षा के लिए संकल्प व विश्वास स्वरूप झाड़ू (भेड़) छोड़ा जाता है,जिसकी खूब सेवा जतन की जाती है।और उसी दिन ही परंपरानुसार दुधमुहें बच्चो को छोड़कर सभी परिवार के केवल बालकों का कर्ण छेदन करना अनिवार्य हो जाता है।


इस वर्ष 30 वर्ष बाद जातरा पर्व को भव्य रूप से मनाने का उद्देश्य आनेवाली पीढ़ियों को आदिवासी संस्कृति का संरक्षण ,संवर्धन करने और बोध कराने,परिवार की सुख शांति ,समृद्धि की कामना के साथ बेहतर जीवन यापन करना है। जातरा पर्व में नारायणपुर जिले के गांव के अतिरिक्त बीजापुर,भैरमगढ़,केशकाल, कोंडागांव,मर्दापाल, अंतागढ़,धनोरा, बंजोड़ा,बड़ेडोंगर,भैसासुर,घूमर, कर्रेगांव और कुपाल परिवार एवं उनके समस्त रिश्तेदार तथा सभी गणमान्यजन सम्मिलित हुए।कार्यक्रम को सफल बनाने में मुख्य रूप से जयसिंह कुपाल (पुजारी),रनसिंह कुपाल(सिरहा),श्यामगिरी कुपाल,मुकुंद राम कुपाल, पिसाडु राम,शिवशंकर,नारद राम,विष्णुराम,श्यामचंद्र कश्यप,श्यामलाल कश्यप,महेंद्र कश्यप,ईश्वर कश्यप, घासीराम कुपाल,चतुर सिंह कश्यप, विभीषण,गुलाब सिंह,एवं अन्य समस्त कुपाल परिवार और गांव के हीरासिंह देहारी,बुधराम पात्र,नरेंद्र पात्र एवं बड़ी संख्या में महिलाएं,पुरुषजन और बच्चे उपस्थित रहे।

Bindesh Patra

युवा वहीं होता हैं, जिसके हाथों में शक्ति पैरों में गति, हृदय में ऊर्जा और आंखों में सपने होते हैं।

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