टेकामेटा गांव में आंगनबाड़ी भवन निर्माण में भ्रष्टाचार, मजदूरों को 4 साल बाद भी भुगतान नहीं, बच्चों और गर्भवती महिलाओं में कुपोषण का खतरा
सलाहकार – अंकुर तिवारी
कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा ब्लॉक में 4 साल से आंगनबाड़ी केंद्र के भवन का निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है। गांववालों से मजदूरी कराने के बाद उन्हें अब तक मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया। अपनी मेहनत की कमाई के लिए यहां के आदिवासी भटक रहे हैं। ग्रामीणों ने मीडिया के जरिये कलेक्टर से न्याय की गुहार लगाई है।
टेकामेटा गांव में 11 परिवार निवासरत हैं जिन्हें आंगनबाड़ी केंद्र का लाभ नहीं मिल रहा है। महिला और बाल विकास विभाग के जिम्मेदार अफसरों के कानों में जूं नहीं रेंग रही। इस कारण यहां आंगनबाड़ी केंद्र के लिए भवन निर्माण में किसी ने ध्यान ही नहीं दिया। और पिछले 4 सालों से इस भवन का निर्माण अधूरा छोड़ दिया गया है। टेकामेटा गांव के सचिव की लापरवाही भी चरम पर है। उन्हें आंगनबाड़ी केंद्र के अधूरे पड़े काम की जानकारी उच्च अफसरों को देनी थी। लेकिन सचिव ने भी इस ओर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा। ऐसे में यह समझना मुश्किल नहीं ही है कि यहां के आदिवासी बच्चों में कुपोषण की क्या स्थिति होगी। और कुपोषण से बचाने के लिए दिया जाने वाला रेडी टू ईट फूड नहीं मिलने से रहा।
कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार ने आदिवासियों के लिए बड़े बड़े दावे और वादे किए थे। जिनका जमीन पर नामों निशान नहीं दिखता। यही कारण है कि कांग्रेस के राज में आंगनबाड़ी भवन बनाने में जमकर भ्रष्टाचार किया गया। और अब बीजेपी की सरकार भी इसकी जांच नहीं करवा पाई है। जाहिर सी बात है कि एसी कमरों में रहने वाले अफसरों के पास पहाड़ी पर बसे गांवों को देखने की फुर्सत नहीं होगी। वरना 4 साल तक मजदूरी भुगतान नहीं होने और मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जीवन यापन करने वाले आदिवासियों को असहाय महसूस नहीं करना पड़ता।
इधर, जिम्मेदार अफसरों की कार्यप्रणाली देख लगता नहीं है कि भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे सरपंच सचिव और आंगनबाड़ी पर्यवेक्षिका पर कोई कार्रवाई भी होगी। हालांकि कलेक्टर अभिजीत सिंह ने जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का भरोसा दिया है।