धर्मांतरण के कारण गांव में शव दफन करने से ग्रामीणों ने किया मना 75 घंटे बाद नसीब हुआ दो गज
मृतका के शव को गांव में दफनाने नहीं मिली जमीन
नारायणपुर के बेनूर थानाक्षेत्र भाटपाल गांव का मामला
आदिवासी समाज के विरोध के बाद शव को लाया गया मुख्यालय
कैंसर पीड़ित महिला ने आदिवासी समाज को छोड़कर अपनाया था ईसाई धर्म
दोनों पक्षों में रहा भारी तनाव, समझौता कराने अफसरों का छुटा पसीना
नारायणपुर जिले के बेनूर थानाक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले भाटपाल गांव में तीन दिनों से धर्मांतरण को लेकर चल रहा विवाद शनिवार की देर शाम खत्म हो गया है। करीब 75 घंटे के बाद लाश को दफनाने के लिए दो गज जमीन नसीब हो पाया। घटना के बाद से भाटपाल गांव में तनाव का माहौल है। ईसाई समुदाय और गोंडवाना समाज के बीच चल रहे विवाद को शांत कराने के लिए जिला प्रशासन के अफसरों का पसीना छूट गया। काफी मशक्कत के बाद एक पक्ष को मनाने में जिला प्रशासन के अधिकारी सफल हो पाए।
शनिवार की सुबह तनावपूर्ण माहौल में ईसाई समुदाय के लोग शव को दफनाने के मृतक के निजी जमीन में लेकर गए थे। वहाँ कब्र के लिए गड्ढे खोदकर अंतिम संस्कार की रस्म अदायगी कर ही रहे थे इसी दौरान बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग पहुँचे और शव को दफनाने नहीं दिया। जिसके बाद परिजनों के साथ ईसाई समुदाय के लोग नाराज़ होकर शव को जंगल में छोड़कर लौट आएं। जिसके बाद जिला प्रशासन के द्वारा शव को कब्जे में लेकर मृतका के शव को जिला मुख्यालय लाया गया। तीन घंटे की समझाइश के बाद परिजनों को समझाइश देकर शव का अंतिम संस्कार करने के लिए मुख्यालय स्थित ईसाई कब्रिस्तान लाया गया। जिला और पुलिस प्रशासन के आला अधिकारियों की मौजूदगी में ईसाई समुदाय के प्रमुख लोगों और परिजनों की उपस्थिति में अंतिम संस्कार किया गया।पास्टरो के द्वारा ईसाई कब्रिस्तान में परमेश्वर दुआ करने के बाद गोंडी भाषा में गीत गाकर कब्र में मिट्टी डाली गई। 21 तारीख को मृतका जानकी सोढ़ी के पति संतुराम सोढ़ी के द्वारा कलेक्टर से लिखित शिकायत की गई थी।
कैंसर पीड़ित महिला का गुरुवार को देहांत हो गया था। जिसके बाद गांव शव दफनाने को लेकर माहौल गरमा गया। आदिवासी समाज के लोगों के द्वारा धर्म छोड़कर जाने वाले लोगों को गांव की दहलीज में नहीं दफ़नाने की बात कहते रहे। इस बीच ईसाई समुदाय के लोग गांव में जमा होते गए। मामला कलेक्टर और एसपी तक पहुँचने के बाद प्रशासन की दखल के बाद विवाद को तीन दिनो के बाद खत्म किया गया।