राजराजेश्वरी के धाम कोकोड़ी जात्रा में देवताओं के मिलन से तय की जाती हैं, माता मावली का ऐतिहासिक मेला कितने ही देवता कई सौ मिलो कि दूरी तय कर पहुंचते हैं राजटेका मंदिर।
मावली मेला का निमंत्रण
राजराजेश्वरी के धाम कोकोड़ी जात्रा में देवताओं के मिलन से तय की जाती हैं, माता मावली का ऐतिहासिक मेला कितने ही देवता कई सौ मिलो कि दूरी तय कर पहुंचते हैं राजटेका मंदिर।
विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक मावली मेला शुरू होने में कुछ ही दिन बचे हैं, मेला में देवताओं को परिक्रमा करने के लिए या कहे मेला घूमने का निमंत्रण और इजाजत दी जाती है।
कार्यक्रम की शुरुआत
क्षेत्र में सारा फसल कटाई के बाद सुख शांति के लिए 3 दिनों का माता राजटेका, राजराजेश्वरी के मंदिर प्रांगण में कोकोडी जात्रा का आयोजन किया जाता है जहां ढोल, नगाड़ा, रेला नृत्य, देव नृत्य,आंगा देव,डोली देव, का शानदार देवी नृत्य होता है।
कोकोड़ी जात्रा पुराने जमाने में सूचना पहुंचाने का माध्यम हुआ करता था। जोकि आज भी क्षेत्र में यह परंपरा चली आ रही है जहां दूरदराज में बसने वाले देवी देवताओं को निमंत्रण देने के लिए रीति-रिवाजों के साथ स्वागत किया जाता है।
आदिवासियों के लिए महत्वपूर्ण है मावली मेला।
नारायणपुर की ऐतिहासिक मावली मेला में जगदलपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा ,कांकेर, राजनांदगांव, कोंडागांव, और आसपास के सभी देवी देवताओं को मेला परिक्रमा करने के लिए यहां से निमंत्रण दिया जाता है।
कई देवी देवता मावली मेला में परिक्रमा करने के लिए इजाजत लेते हैं इजाजत लेने के लिए उन्हें कई देवीय परीक्षाओं को पास करना होता है, परीक्षा में पास होने के बाद ही मेला परिक्रमा का आदेश मिलता है।
बुजुर्गों के कहे अनुसार यह मान्यता है कि माता राज राजेश्वरी मंदिर में पिछले 700 से 800 वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है, आज भी यह सभ्यता और परंपरा जाती है ।