आदिवासियों ने भालू के बच्चे को बचाया, घर में की देखभाल, अब वन विभाग लापरवाही से जंगल में अकेला छोड़ दिया।
संवादाता: मनकु नेताम
कांकेर जिले के पखांजूर इलाके में वन विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। जहां नक्सल प्रभावित आलदंड गांव में एक आदिवासी परिवार ने भालू के बच्चे को बचाया और अब उसे वन विभाग ने रेस्क्यू करने की बजाय जंगल में अकेला छोड़ दिया। वन विभाग का दावा है कि भालू का ये बच्चा अपनी माँ तक पहुंच जाएगा। जबकि आसपास भालू के बच्चे पर निगरानी के लिए वन अमला ने रुकने की जहमत नहीं उठाई। इसके अलावा वन विभाग की टीम ने एक और कारनामा यह कर दिया कि आलदंड गांव के रहने वाले अजीत नरेटी के पास सिर्फ कागजी खानापूर्ति कर वापस लौट गए। अजीत नरेटी ने बताया कि वह जंगल में दोना पत्तल बनाने के लिए सिहाड़ी पत्ता तोड़ने गया था। तभी उसकी नजर भालू के बच्चे पर पड़ी।
फिर उसे बचाकर अपने साथ घर ले आया था। जहां उसे दूध पिलाकर रखा था। लेकिन जब वन विभाग वाले उसके घर आये तो नजारा बदल गया। जहां भालू के बच्चे की देखभाल कर वन विभाग को इसकी जानकारी दी गई थी। आज सुबह वन विभाग की टीम आलदंड गांव पहुंची और भालू के बच्चे को अपने कब्जे में लेकर ग्रामीणों के साथ उसे पास के जंगल में छोड़ दिया गया। लेकिन किसी ने इस भालू के बच्चे की निगरानी की कोशिश नहीं की। गांववालों ने बताया कि अब इस भालू के बच्चे को उसकी मां वापस मिल जाएगी तो अच्छा है नहीं तो उसका बचना मुश्किल होगा।
वहीं, जानकारों के मुताबिक भालू का ये बच्चा अभी बहुत छोटा है और इसका जन्म हुए लगभग दस दिन के करीब हुआ है। अजीत नरेटी ने भालू के बच्चे को बचाकर मानवता का परिचय दिया है। इसके लिए अब उसकी तारीफ हो रही है। मगर,बांदे वन विभाग की लापरवाही से लोगों ने नाराजगी जाहिर की है।