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कोहिनूर दुनिया का सबसे मशहूर और चर्चित हीरा क्यों है?

History of Kohinoor Diamond:

कोहिनूर दुनिया का सबसे मशहूर और चर्चित हीरा क्यों है?

दंडकारण्य दर्पण संदेश

History of Kohinoor Diamond:

कोहिनूर हीरा दुनिया में सबसे मशहूर और खास माना जाता है. सबको इसे देखने की लालसा होती है. यहाँ तक कि बेशकीमती चीज़ की तुलना कोहिनूर हीरे से की जाती है. आइये इस लेख के माध्यम से कोहिनूर हीरे का इतिहास, क्यों है यह इतना खास, वर्तमान में यह कहां स्थित है के बारे में जानते हैं.

कोहिनूर दुनिया के सबसे पुराने और सबसे प्रसिद्ध हीरों में से एक है. क्या है कोहिनूर हीरे का इतिहास? वर्तमान में यह कहा स्थित है? आइये जानते हैं.

एक दिलचस्प बात जो कोहिनूर हीरे के साथ जुड़ी हुई है वह यह है कि इसको ना तो आज तक बेचा जा सका है और ना ही किसी ने इसको खरीदने की कोशिश की. आज तक कोहिनूर को केवल जीता गया है, छिना गया है या फिर गिफ्ट के तौर पे दिया गया है.

आखिर कोहिनूर हीरा क्यों है खास?

कोहिनूर सबसे मशहूर हीरा है. ऐसा बताया जाता है कि मूल रूप से ये लगभग 793 कैरेट का था और अब यह लगभग 105.6 कैरेट का रह गया है. एक समय में इसे दुनिया जा सबसे बड़ा हीरा माना जाता था.

एक गोलकुंडा वर्गीकृत हीरा, जिसकी उत्पत्ति समय के बीच में खो गई है, कोहिनूर आज ब्रिटिश ताज का गौरव है, जिसे लंदन के टॉवर में रखा गया है. यानी इस वक्त कोहिनूर हीरा ब्रिटेन के राजपरिवार के पास है.
आइये जानते हैं कोहिनूर हीरे के इतिहास के बारे में
कोहिनूर हीरे का इतिहास, इतिहास में 5000 साल से भी पुराना है. हीरे का वर्तमान नाम, फारसी में है जिसका अर्थ है “रोशनी का पहाड़” (Mountain of Light).

इतिहासकारों के अनुसार, इस हीरे की खोज आंध्रप्रदेश गुंटूर जिले में स्थित गोलकुंडा की खदानों में खुदाई के दौरान हुई थी. सबसे पहले इसे किसने देखा, यह कब बहार आया था का कोई प्रमाण दर्ज नहीं है.

अपने लंबे इतिहास में यह बेशकीमती हीरा पूरी दुनिया में घूम चुका है और कई शासकों के पास भी रहा है. यह भारत के भीतर और भारत, फारस, अफगानिस्तान के मध्य यात्रा करने के लिए भी जाना जाता है वो भी एक शासक से दूसरे शासक के बीच.

कोहिनूर हीरे को रखने वाले कुछ प्रसिद्ध राजाओं में शामिल हैं;

– काकतीय ( Kakatiyas)

– अलाउद्दीन खिलजी (Allaudin Khilji)

– ग्वालियर के राजा विक्रमादित्य (Raja Vikramaditya)

– प्रारंभिक मुगल, बाबर और हुमायूं (Babur and Humayun)

ईरान के शाह, शाह तहमास्प (Shah Tehmasp)

– अहमदनगर और गोलकुंडा के राजवंश, निजाम शाह और कुतुब शाह (Nizam Shah and Qutub Shah)

– बाद में मुगल शाहजहाँ से मुहम्मद शाह रंगीला तक (Muhammad Shah Rangila)

– फारस के नादिर शाह, जिन्होंने फारसी नाम कोहिनूर दिया, जिसका अर्थ है “रोशनी का पहाड़” (Nadir Shah)

– अफगान जनरल अहमद शाह अब्दाली (दुर्रानी) और उसके बाद से उसके उत्तराधिकारियों से लेकर शाह शुजा तक (Ahmad Shah Abdali (Durrani))

– शेर-ए-पंजाब, महाराजा रणजीत सिंह और उसके बाद उनके उत्तराधिकारियों से लेकर महाराजा दिलीप सिंह तक (Maharaja Duleep Singh)

ऐसा कहा जा सकता है कि अंग्रेजों के स्वामित्व में आने से पहले हीरे ने कई बार शासक और स्थान बदला है.

हीरे की उत्पत्ति आंध्रप्रदेश के गोलकुंडा में की गई है. यह रायलसीमा हीरे की खदान से खनन किया गया था तब यह काकतीय राजवंश के शासन के अधीन था.

दिल्ली सल्तनत वंश के दूसरे शासक अलाउद्दीन खिलजी के शासन काल में, खिलजियों ने दक्षिणी भारत में कई सफल आक्रमण किए और छापे मारे. ऐसा माना जाता है कि खिलजी 1310 में वारंगल में ऐसे ही एक अभियान में हीरा हासिल करने आए थे.

इसके बाद हीरा, दिल्ली सल्तनत के एक शासक से दूसरे शासक में बदलता रहा. 1526 में बाबर ने इब्राहिम लोदी को हराया, और हीरा हासिल किया. बाबर ने अपनी आत्मकथा ‘बाबरनामा’ में हीरे का उल्लेख भी किया है.

कुछ रिकॉर्डस के अनुसार, बाबर के बाद, हीरे ने शाहजहाँ के मयूर सिंहासन को सुशोभित किया था.

फारसी सम्राट, नादिर शाह ने 1739 में मुगल साम्राज्य पर आक्रमण किया और हीरा प्राप्त किया. ऐसा कहा जाता है कि यह नादिर शाह थे जिन्होंने हीरे को अपना वर्तमान नाम ‘कोह-ए-नूर’ दिया था, जिसका फारसी में अर्थ है “रोशनी का पहाड़”.

1747 में नादिर शाह की हत्या कर दी गई और उनका साम्राज्य बिखर गया. उनकी मृत्यु के बाद, कोहिनूर उनके एक सेनापति, अहमद शाह दुर्रानी के अधिग्रहण में आ गया.

उनके वंशजों में से एक, शाह शुजा दुर्रानी ने पंजाब के रणजीत सिंह को हीरा दिया, जिसने बदले में दुर्रानी को अफगानिस्तान के सिंहासन को वापस जीतने में मदद की.

1849 में, अंग्रेजों ने पंजाब पर विजय प्राप्त की और लाहौर संधि की घोषणा की गई. इसके बाद लॉर्ड डलहौजी ने रणजीत सिंह के उत्तराधिकारी दिलीप सिंह द्वारा महारानी विक्टोरिया को कोहिनूर भेंट करने की व्यवस्था की गई. हीरा 1850 -51 में महारानी विक्टोरिया को सौंप दिया गया था. तब से कोहिनूर हीरा इंग्लैंड में ही है.

कोहिनूर हीरे की ख्याति सीमाओं से परे थी. यह पुराने के साथ-साथ आधुनिक साहित्य का भी हिस्सा रहा है. कोहिनूर वास्तव में कालातीत और अमूल्य है. महान भारतीय इतिहास कोहिनूर के बिना अधूरा है.

Bindesh Patra

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