ये हैं तीनों कृषि कानून
किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, किसानों (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) का मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक तीन कृषि कानून हैं, जिन्हें निरस्त करने की घोषणा की गई है।
सुप्रीम कोर्ट का आ चुका है फैसला
तीनों कृषि कानून का मामला देश की सर्वोच्च अदालत तक पहुंच चुका है। इस पर इसी साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी। साथ ही एक कमेटी गठित की थी, लेकिन किसान कानून वापस लेने की मांग पर ही अड़े थे।
सार
करीब सालभर से चल रहे आंदोलन के आगे आखिरकार केंद्र सरकार को झुकना पड़ा और तीनों कानूनों को रद्द करने का फैसला करना पड़ा, लेकिन क्या एलान कर देने भर से कानून निरस्त हो गया? तो ऐसा बिलकुल नहीं है। इसके लिए संवैधानिक प्रक्रिया से गुजरना होता है।
विस्तार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु नानक जयंती के मौके पर राष्ट्र के नाम संबोधन में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान क्या किया कि किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई। कहीं पर किसानों ने मिठाइयां बांटी तो कई जगहों पर जलेबी बांटकर खुशियां मनाईं। कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले एक साल से ही आंदोलन कर रहे थे। अन्नदाताओं के आगे सरकार को आखिरकार झुकना पड़ा, लेकिन क्या पीएम मोदी की घोषणा करने भर से कृषि कानून निरस्त हो गए? तो ऐसा नहीं है।
कानून निरस्त करने की एक संवैधानिक प्रक्रिया होती है। इसके लिए संसद में सरकार को संवैधानिक प्रक्रिया को पूरी करनी होगी। संविधान और विधि विशेषज्ञों की मानें तो सरकार को तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए संसद में विधेयक लाना होगा। आखिर क्या है वह प्रक्रिया? आइए विस्तार से समझते हैं…
क्या है प्रक्रिया?
संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने कहा कि जो भी संशोधन होता है, उसे कानून मंत्रालय संबंधित मंत्रालय को भेजता है। इस मामले में कृषि मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा जाएगा। इसके बाद उस संबंधित मंत्रालय के मंत्री संसद में बिल पेश करेंगे। तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए भी सरकार को संसद में बिल पेश करना होगा। सुभाष कश्यप बताते हैं कि संसद में बिल पेश होने के बाद उस पर बहस होगी और फिर वोटिंग।
कानून निरस्त करने की ये है प्रक्रिया
पूर्व केंद्रीय विधि सचिव पी के मल्होत्रा ने कहा, ‘किसी कानून को निरस्त करने के मामले में संसद की शक्ति संविधान के तहत कानून लागू किए जाने के ही समान है।’’पी के मल्होत्रा ने कहा, ‘‘जब कोई निरस्तीकरण विधेयक पारित किया जाता है, तो वह भी कानून होता है।’’ उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानून लागू नहीं किए गए थे, लेकिन वे संसद द्वारा पारित कानून हैं, जिन्हें राष्ट्रपति की अनुमति मिली है और उन्हें संसद द्वारा ही निरस्त किया जा सकता है।
पूर्व लोकसभा महासचिव पी डी टी आचार्य ने कहा कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को एक निरस्तीकरण विधेयक के जरिए निरस्त कर सकती है। उन्होंने कहा कि विधेयक के उद्देश्य एवं कारण संबंधी वक्तव्य में सरकार यह कारण बता सकती है, वह तीनों कानूनों को निरस्त क्यों करना चाहती है।