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छत्तीसगढ़ : सड़क पर उल्टी खाट पर जाता ये शव, सिस्टम पर खड़े करता सवाल ? कुआकोंडा पुलिस ने मदद की तो टिकनपाल पहुँचा शव

सड़क पर उल्टी खाट पर जाता ये शव, सिस्टम पर खड़े करता सवाल ? कुआकोंडा पुलिस ने मदद की तो टिकनपाल पहुँचा शव

 

दंतेवाड़ा- दंतेवाड़ा जिले के कुआकोंडा इलाके से मानवीयता को झकझोर देने वाली तस्वीर उल्टी खाट पर रेंगानार गांव में सिस्टम को रखे दिखी. दरअसल उल्टी खाट में 4 ग्रामीण एक बुजुर्ग महिला का शव रेंगानार से टिकनपाल अंतिम संस्कार के लिए लेकर जा रहे थे. क्योकि उनके पास गाड़ी किराया का पैसा नही था. और वे ये बात जानते भी नही थे कि उन्हें शव वाहन मिल सकता है. अब आप समझिये की दंतेवाड़ा जैसे जिले में गरीब आदिवासी अपने परिजनों की मौत के बाद मीलो सफ़र उल्टी खाट पर क्यो तय करते है। दरअसल टिकनपाल गांव की रहने वाली मृतक महिला जोगी पोडियाम का यह शव है।

इस शव को ले जाने वाले परिजन करीब 10किलोमीटर सडक़ के रास्ते शव लेकर चलते रहे।

सैकड़ों जागरुक नागरिक निकले उन्होंने भी मदद करने का प्रयास नही किया। ये लोग एक फोन करते और स्वास्थ्य विभाग को सूचित करते कि शव वाहन की व्यवस्था की जाए, लेकिन लोग देख कर निकलते रहे।इसी बीच कुआकोंडा पुलिस को जानकारी मिली। कुआकोंडा थाना पुलिस मौके पर पहुंची। इतना ही नही थाना प्रभारी चंदन कुमार भी मौके पर पहुंच गए। जवानों और खुद टीआई ने पिकअप पर शव को रखवाया। साथ ही कुछ जवानों को घर तक शव के साथ भेजा। पुलिस मानवीयता से शव तो घर तक पहुुंच गया और परिजनों को 15 किमी पैदल चलने का दर्द भी कम हो गया। रेंगानार से करीब 25 किमी दूर है टिकन पंचायत। बड़ा सवाल है कि सरकारें तमाम दावे करती है कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में तमाम योजनाओं का सीधा लाभ मिल रहा है। प्रशासनिक अधिकारी इन योजनाओं को जमीन पर उतारने के लिए पसीना बहा रहे हैं। मानव जीवन की अहम कड़ी स्वास्थ्य विभाग का ये हाल है। सही मायने में ये योजनाओं की उल्टी खाट पर शव है। आदिवासी इलाकों में यह तक पता नही कि उनको सरकार ने मुफ्त शव वाहन की भी व्यवस्था की है। यह तस्वीर बताती है कि योजना जमीन पर नही उतरी है, जब लोगों को जानकारी ही नहीं है।

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पैसा नही था परिजन के पास, इसलिए

   उल्टी खाट पर ले जा रहे थे शव

 परिजन से बात करने के बाद पता चला कि उनकी मजबूरी आर्थिक आभाव था। मृतक महिला का रिश्तेदार रमेश बताता है कि वह कुछ दिन पहले ही टिकनपाल से रेंगानार आई थी। बीमार होने के चलते उसकी शुक्रवार सुबह मौत हो गई। परिजन के पास पैसा नही था, इस लिए उल्टी खाट कर टिकनपाल ले जा रहे थे। करीब आठ से 10, किमी पैदल भी चले। ये तो शुक्र है कि पुलिस अब गांव पहुंचा दे गी। जब रमेश से पूंछा कि स्वास्थ्य विभाग से तो शव वाहन मुफ्त में मिलता है। इस पर वह बोला जानाकरी ही नहीं है। इस बात से पता चलता है योजनाओं का कितना लाभ लाग उठा रहे हैं। आदिवासियों को योजना तो छोड़ा, उनको तो जानकरी का ही आभाव है। स्वास्थ्य विभाग को जागरुक करना चाहिए वह भी धरातल पर नही कर पा रही है।

 

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पुलिस के लिए टिकनपाल की डगर जरा मुश्किल

थाना पुलिस मृतक महिला का शव तो लेकर जा रही है, लेकिन पुलिस के लिए टिकनपाल की डगर कठिन है। टिकनपाल बेहद संवेदनशील क्षेत्र है। यहां नक्सल का बोलबाला है। पुलिस अब इस शव को सुरक्षित पहुंचाने के लिए अतिरिक्त फोर्स भी लगाएगी। टिकनपाल मालांगिर एरिया कमेटी के नक्सलियों का पनाहगाह है। अक्सर टिकनपाल से ही किरन्दुल और कुआकोंडा थाना क्षेत्र में वारदातों को अंजाम देते है। कई बार बड़ी वारदातों की साजिश का पर्दाफाश इसी टिकनपाल से हुआ है।

Bindesh Patra

युवा वहीं होता हैं, जिसके हाथों में शक्ति पैरों में गति, हृदय में ऊर्जा और आंखों में सपने होते हैं।

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