स्टीविया के पत्तियों में चीनी से 40 गुना अधिक मिठास होता है लेकिन डायबिटीज रोगियों के लिए वरदान
स्टीविया के पत्तियों में चीनी से 40 गुना अधिक मिठास होता है लेकिन डायबिटीज रोगियों के लिए वरदान
दंडकारण्य सेहत संदेश
स्टीविया (Stevia) एक प्राकृतिक और औषधीय गुणों वाला पौधा है। स्टीविया के फायदे प्राकृतिक स्वीटनर के लिए जाने जाते हैं। स्टीविया के गुण विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए जाने जाते हैं। स्टीविया के स्वास्थ्य लाभों में मधुमेह को नियंत्रित करना तो है ही साथ में यह वजन को कम करने में सहायक होते हैं। स्टीविया के बीज रक्तचाप नियंत्रण और कैंसर की रोकथाम में फायदेमंद होते हैं। स्टेविया पाउडर के लाभ त्वचा समस्याओं, एलर्जी का इलाज और हड्डी स्वास्थ्य आदि शामिल हैं। ये सभी लाभ इस औषधीय पौधे में मौजूद पोषक तत्वों के कारण होते हैं।
इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह चीनी से कई गुना मीठा होने के बावजूद मधुमेह के रोगियों के लिए जहर नहीं, बल्कि वरदान माना जाता है. ऐसा इसलिए माना जाता है, क्योंकि इसमें चीनी की तरह चर्बी और कैलोरी नहीं होती है. इसकी मीठी पत्तियां मधुमेह से पीड़ित रोगियों को नुकसान नहीं पहुंचाकर लाभ देती हैं. बता दे कि चीन के बाद भारत में सबसे ज्यादा मधुमेह के मरीज है. चीन में मधुमेह से पीड़ितों की संख्या लगभग 12 करोड़ है तो वहीं भारत में ये संख्या 8 करोड़ के आसपास है. मधुमेह सबसे तेजी से बढ़ने वाली बीमारियों में से एक है.
स्टीविया की खेती
स्टीविया को भारतीय किसानों के द्वारा ‘मीठी तुलसी’ कहा जाता है. इसकी मिठास चीनी से लगभग 300 गुना अधिक होती है. ये स्टेवियोल ग्लाइकोसाइड नामक यौगिकों के एक वर्ग से बनती है. चीनी की तरह यह कार्बन, ऑक्सीजन और हाइड्रोजन से मिश्रित है. हमारा शरीर इसे पचा नहीं सकता लेकिन जब इसे खाने के रूप में जोड़ा जाता है तो यह कैलोरी में नहीं जोड़ता है, बस स्वाद देता है. स्टीविया की मूल रूप से खेती पेरूग्वे में होती है. विश्व स्तर पर इसकी खेती पेरूग्वे, भारत , जापान, कोरिया, ताइवान, अमेरिका इत्यादि देशों में होती है. गौरतलब है कि स्टीविया की खेती भारत में दो दशक पहले शुरू हुई थी. इस समय इसकी खेती बैंगलोर, पुणे, इंदौर, रायपुर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में की जा रही है.
बता दे कि भारतीय बाजार में ही इस समय स्टीविया से बने 100 से अधिक उत्पाद मौजूद हैं. अमूल, मदर डेयरी, पेप्सीको, कोका कोला (फंटा) जैसी बड़ी कंपनियां स्टीविया की बड़ी मात्रा में खरीदारी कर रही हैं. भारत में अन्य देशों के अपेक्षा बीते कुछ सालों में इसका काफी व्यापर भी बढ़ा है. ऐसे में भारतीय किसान स्टीविया की खेती करके बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं. स्टीविया की खेती में सबसे अच्छी बात ये है कि इसकी खेती में गन्ने के अपेक्षा 10 फीसदी कम पानी की जरूरत पड़ती है. इसकी 1 एकड़ की खेती के लिए कम से कम 40000 पौधे लगाने होते है. जिसमें लगभग 1 लाख रुपए का खर्च आता है. गन्ने की अपेक्षा एक किसान स्टीविया की खेती से 5 गुना ज्यादा मुनाफा कमा सकता है. यही नहीं इसकी खेती एक बार करने के बाद किसान कम से कम 5 साल तक अच्छी कमाई कर सकता हैं.
स्टीविया की बुवाई अक्टूबर या नवंबर माह में 30 x 30 सेंटीमीटर दूरी पर पंक्तियों में करनी चाहिए। रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई करें। इसकी पूरी फसल की अवधि में 4 -5 सिंचाई की जरुरत पड़ती है. इसकी खेती के लिए दोमट मिटटी सबसे उपयुक्त होती है. पत्तियों की तुड़ाई, बुवाई के दो महीने बाद से ही शुरू हो जाती है. स्टीविया की पत्तियों की कीमत थोक में करीब 300 रुपए किलो तथा खुदरा में यह 500-600 रुपए प्रति किलो तक होती है. स्टीविया के पौधों से हर तुडाई में प्रति एकड़ 25से 27 कुंतल सूखी पत्तियां मिल जाती हैं.
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