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NARAYANPUR: कारगिल विजय दिवस शूरवीरों को नमन : डॉ. रत्ना नशीने

कार्यक्रम में 27 स्वयंसेवक उपस्थित रहे

कारगिल विजय दिवस शूरवीरों को नमन

 

इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत कृषि महाविद्यालय एवं अनुशंधान केंद्र नारायणपुर की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा जिला नारायणपुर के भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) की 53वी वाहिनी जेल बाड़ी एड़का रोड में 24 वाँ कारगिल विजय दिवस को अधिष्ठाता एवं एन.एस.एस. कार्यक्रम अधिकारी डॉ.रत्ना नशीने के दिशानिर्देश एवं मार्गदर्शन में मनाया गया। माटी को नमन वीरों का वंदन कार्यक्रम कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, केरलापाल, नारायणपुर एवं भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस की 53वी वाहिनी के संयुक्त तत्वाधान में कारगिल विजय दिवस के अवसर पर मनाया गया।

 

 

इस अवसर पर भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस की 53वी वाहिनी के कमांडेंट श्री अमित भाटी, डिप्टी कमांडेंट, श्री आशीष कुमार व अश्विनी कुमार, सहायक कमांडेंट श्री रंजन कुमार एवं अन्य सेनानी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन अध्यापक श्री सूर्यकांत चौबे ने कहा भारतीय सेना के वीर सपूतों के बलिदान को याद करते हुए आज 26 जुलाई को प्रत्येक वर्ष कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज के दिन ही 1999 में कारगिल व लद्दाख में पाकिस्तान के साथ लड़ाई 60 से अधिक दिनों तक चली। पाकिस्तान ने अपने सैनिकों और अर्ध-सैनिक बलों को छिपाकर नियंत्रण रेखा के पार भेजने लगा और इस घुसपैठ का नाम ((“ऑपरेशन बद्र”) ) रखा था। इसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना और भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना था। इसके बाद भारत सरकार ने ऑपरेशन विजय नाम से 2,00,000 सैनिकों को कारगिल क्षेत्र मे भेजा। यह युद्ध आधिकारिक रूप से 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ। इस युद्ध के दौरान 527 सैनिकों ने अपने जीवन का बलिदान दिया था और 1400 के करीब घायल हुए थे। लड़ाई के बाद पाकिस्तानी सैनिकों को भारतीय सेना ने खदेड़कर जीत का परचम लहराया था।

कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान जन गण मन द्वारा किया गया। श्री अमित भाटी, डिप्टी कमांडेंट ने कारगिल विजय दिवस के बारे में बताते हुए कहा आज के दिन देश के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाले तमाम जांबाजों के बीच कैप्टन विक्रम बत्रा का नाम हर किसी के जेहन में आता है। कैप्टन बत्रा ने पूरी लड़ाई में भारत के लिए बहादुरी से लड़ते हुए अपनी जान दे दी। उस समय वह केवल 24 वर्ष के थे और उन्हें मरणोपरांत सर्वोच्च युद्धक्षेत्र वीरता सम्मान, परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।

कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए कृषि महाविद्यालय एवं अनुशंधान केंद्र नारायणपुर द्वारा वाहिनी में अपने अच्छे कार्यों में छाप छोड़ने वाले सेनानियों को उनके सम्मान प्रशस्ति पत्र वितरित किया गया, कार्यक्रम के समापन अवधि में कृषि महाविद्यालय द्वारा भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस की 53वी वाहिनी के सहयोग द्वारा वीर सपूतों की याद में स्मृति चिन्ह भेंट किया गया और लगभग 69 फलदार पौधों का रोपण किया गया जिसमें अमरूद, पपीता, जामुन, काजू, नींबू एवं कटहल आदि पौधे वाहिनी परिसर में किया गया।

इस कार्यक्रम में 27 स्वयंसेवक उपस्थित रहे जिसमें अनिरुद्ध सिंघ, अनुज कुमार, देवव्रत साहू, नमन मौर्य का योगदान सराहनीय रहा। कार्यक्रम में महाविद्यालय के अध्यापकगण डॉ. प्रशान्त बिझेकर, डॉ. नवनीत ध्रूवे, श्री सूर्यकांत चौबे एवं अन्य उपस्थित रहें। कॉलेज में सभी स्वयं सेवकों को शपथ दिलाई गई और पौधारोपण किया गया जिसमें पपीता, अमरूद व आम आदि पौधे लगाए गए। कुल 56 पौधों का रोपण महाविद्यालय परिसर में किया गया।

Bindesh Patra

युवा वहीं होता हैं, जिसके हाथों में शक्ति पैरों में गति, हृदय में ऊर्जा और आंखों में सपने होते हैं।

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