header ads
कला और संस्कृतिछत्तीसगढ़परम्परागतबस्तर

विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा की पहचान विशालकाय रथ निर्माण कार्य की शुरुवात शुक्रवार को सिरासार चौक में की गई, झाड़उमरगांव और बेड़ा उमरगांव के डेढ़ सौ कारीगरों द्वारा 8 चक्कों का विशाल काय रथ निर्माण इस वर्ष किया जाएगा।

 

विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा की पहचान विशालकाय रथ निर्माण कार्य की शुरुवात शुक्रवार को सिरासार चौक में की गई, झाड़उमरगांव और बेड़ा उमरगांव के डेढ़ सौ कारीगरों द्वारा 8 चक्कों का विशाल काय रथ निर्माण इस वर्ष किया जाएगा ।

बस्तर – रथ निर्माण हेतु झीरम के जंगलों से 50 घन मीटर साल लकड़ी लाई गई है , बता दें कि रथ निर्माण से पूर्व कारीगरों द्वारा बारसी उतरनी रस्म की जाती है जिसके बाद ही कारीगर लकड़ियों छिलने काटने व अन्य कार्य करते है, बस्तर दशहरा के दौरान प्रमुख रुप से 14 पूजा विधान पूरी की जाती हैं, इनमें बारसी उतरानी पूजा विधान प्रमुख है।

इसके तहत रथ बनाने लाई गई लकड़ियों को बंसुला (बारसी) से काटने का कार्य प्रारंभ किया जाता है। इस मौके पर रथ बनाने में प्रयुक्त पारंपरिक औजारों को पूजा गया परंपरा अनुसार साल काष्ठ में एक बकरा और 11 मांगुर मछली के साथ लाई, चना, नारियल की भेंट दी गई। जिसके बाद बंसुला से साल लकड़ी की औपचारिक छिलाई कर बारसी उतरानी रस्म अदायगी पूरी की गई इस मौके पर बड़ी संख्या में कारीगर और बस्तर दशहरा समिति के सदस्य मौजूद थे।

 

 

Bindesh Patra

युवा वहीं होता हैं, जिसके हाथों में शक्ति पैरों में गति, हृदय में ऊर्जा और आंखों में सपने होते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!