देवताओं का घर चंडीबड़ पर भूमाफियाओं का कब्जा आस्था से जुड़ा सैकड़ों साल पुराना वटवृक्ष को काट डाला, नाराज क्षेत्रवासीयों ने कहां देवताओं से छेड़खानी बर्दाश्त नहीं होगा।
नारायणपुर- सैकड़ों साल पुराना आस्था से जुड़ा चंडीगढ़ माता चंडी का निवास स्थान माना जाता हैं ।
प्रसिद्ध पहाड़ी मंदिर मार्ग स्थल रावणभाठा में स्थित विशाल वट वृक्षों के समूह से जुड़ा हुआ है जिसे चंडीबड़ के नाम से जाना जाता है। इन्ही वट वृक्षों को टंकेश्वर देवांगन द्वारा काटा जा रहा था और कुछ हिस्से के वृक्षों को काट भी दिया गया है। वटवृक्ष के काटे जाने के विरोध में अब नारायणपुर देव समिति एवं नारायणपुर के नागरिक उतर आए हैं। देव समिति के सदस्यों के अनुसार चंडीबढ़(वट वृक्षों का समूह) प्रमुख देवी स्थलों में से एक है ,जहां पुरातन परंपरा के अनुसार हमेशा से पूजा-अर्चना की जा रही है। पूजा अर्चना के चलते यह स्थान नारायणपुर के नागरिकों के आस्था का केंद्र बना हुआ है। पुरानी रीति की मानें तो यह वट वृक्षों का समूह सदियों से नारायणपुर के देवी पूजा पाठ स्थलों में से प्रमुख रहा है और पूर्व से इसी वृक्ष समूह के सामने वाली भूमि पर प्रसिद्ध मावली मेले का आयोजन भी होता रहा है पर अचानक दुर्घटना वश हुए जनहानि के चलते मेला स्थल बदलकर वर्तमान के बाजार स्थल में कर दिया गया है। परंतु पुरातन आस्था अनुरूप वट वृक्ष के नीचे लगातार पूजा अर्चना की जा रही है। जिसे पिछले कुछ महीनों पहले टंकेश्वर देवांगन का परिवार उक्त भूमि को अपनी पुश्तैनी जमीन होने का दावा कर घेराव कर दिया है और उक्त भूमि पर खेती किसानी और गृह निर्माण कार्य आरंभ कर दिया है। गृह निर्माण में बाधक होने के चलते टंकेश्वर देवांगन द्वारा वट वृक्षों को काट छांट आरंभ कर दिया गया। जिस से नाराज देव समिति के सदस्य व नागरिक वट वृक्ष की कटाई को अवैध व आस्था पर प्रतिघात बताकर पार्षद प्रमिला प्रधान के नेतृत्व में विरोध करते दिखे हैं पार्षद व ग्रामीणों ने वट वृक्ष के भूमि के घेराव को ही अवैध कब्जा करार दिया है। और देश के राष्ट्रीय धरोहर वह ग्राम आस्था के प्रतीक वट वृक्ष को काटे जाने पर उक्त व्यक्ति पर सख्त दंडात्मक कार्यवाही का आग्रह जिला प्रशासन से किया है। वही इस मामले में आरोपी दूसरे पक्ष की दलील है कि यह वृक्ष उनके पुश्तैनी जमीन का हिस्सा है जिस पर नागरिक आपत्ति जता रहे हैं ऐसी कोई आपत्ति वाली स्थिति नहीं है टंकेश्वर देवांगन ने माना है कि उनके द्वारा वट वृक्ष की कटाई की गई है जिसकी अनुमति या सूचना संबंधित वन विभाग को नहीं दी गई है।
वही सारे मामले को सूचना पार्षद ने पटवारी व नायब तहसीलदार को दे दी है, नायब तहसीलदार ने मौके का मुवायना कर वृक्ष की कटाई पर रोक लगा दिया है।