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नारायणपुर: देवताओं के घर में निको जायसवाल को ठेके पर आदिवासियों का धरना आदिवासियों ने एक सुर में मिलकर कहा “आखरी सांस तक रक्षा करेंगे”।

नारायणपुर: देवताओं के घर में निको जायसवाल को ठेके पर आदिवासियों का धरना आदिवासियों ने एक सुर में मिलकर कहा “आखरी सांस तक रक्षा करेंगे”।

माओवादियों के गढ़ कहे जाने वाले नारायणपुर के आमदही में की आदिवासियों का माहौल पिछले दो दिनों से गरमाया हुआ है. हज़ारों की संख्या में आदिवासी अपने देवताओं के घर कहे जाने वाले आमदाई के एक पहाड़ को बचाने के लिये सड़कों पर उतरे हुए हैं.

नारायणुर के अलग-अलग इलाक़ों से कई दिनों की पैदल यात्रा करके निक्को जायसवाल कॉर्पोरेशन के छोटेडोंगर पहुंचे आदिवासियों ने मंगलवार को तड़के इस रोड को घेरा और तब से वे यहीं जमे हुए हैं.

इन आदिवासियों का कहना है कि नीको जायसवाल ने उनके आमादई पहाड़ से लौह अयस्क निकाल रही है ।

हालांकि, प्रशासन की ओर से कोई भी अधिकारी धरना स्थल तक नहीं पहुंच पाया है ।
कारण रास्ते में नक्सलियों का एंबुश होने का खतरा बता रहे हैं पुलिस

जैव विविधता का घर आमदही और अबूझमाड़

नारायणपुर की आमदई की पहाड़ियां लगभग 32 किलोमीटर की लंबाई और 12 किलोमीटर की चौड़ाई में फैली हुई हैं.

इन लौह अयस्कों की ख़ासियत ये है कि इनमें समृद्ध लौह तत्व यानी औसत एफ़ई 67 प्रतिशत है, जिसे दुनिया के बेहतर लौह अयस्क में शुमार किया जाता है.

यहां दुर्लभ प्रजाति के जीव जंतु पाए जाते हैं।
देश की राष्ट्रीय पक्षी मोर का उत्तम स्थान माना जाता है इन क्षेत्र के राजपूत, धनोरा, छोटेडोंगर, आमदाई के पहाड़ों में बहुत अधिक संख्या में मोर के झुंड अक्सर देखे जा सकते हैं।
दुर्लभ जीव जंतु जैसे अजगर, तेंदुआ, बाघ, हिरण, छोटा चीतल, भालू, पहाड़ी मैना, हड़ेल,पेंग्विन (साल) पशु पक्षियों का घर है।

बाइट- मंगतू उसेंडी आदिवासी ग्रामीण
पी टी सी

Bindesh Patra

युवा वहीं होता हैं, जिसके हाथों में शक्ति पैरों में गति, हृदय में ऊर्जा और आंखों में सपने होते हैं।

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