National: हिन्दू मुस्लिम एकता का निमंत्रण
हिन्दू मुस्लिम एकता का निमंत्रण
उत्तर प्रदेश के अमेठी गांव में एक अनोखी कहानी सामने आई, जिसने भारत की साम्प्रदायिक एकता और संस्कृति की सच्ची झलक दिखलाई। यह कहानी एक शादी के निमंत्रण से शुरू हुई—सरल लेकिन बेहद खास।
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इमरान अहमद और ज़ोया सिद्दीकी, एक युवा मुस्लिम जोड़ा, अपनी निकाह की तैयारियों में जुटे थे। उन्होंने अपनी शादी के निमंत्रण में एक ऐसा कदम उठाया, जिसने गांव और आस-पास के इलाकों को हैरान कर दिया। उनके शादी के कार्ड में पारंपरिक इस्लामी शादी के आमंत्रण के साथ-साथ भगवान गणेश की तस्वीर भी थी, जो हिंदू धर्म में पूजनीय हैं।
जब यह निमंत्रण कार्ड बांटे गए, तो गांव में खुशी और आश्चर्य का माहौल बन गया। हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों ने इस अनोखे निमंत्रण की सराहना की। गांव के एक दुकानदार रमेश ने कहा, “ऐसा मैंने पहले कभी नहीं देखा। इमरान के परिवार ने सच्चे अर्थों में सभी धर्मों के प्रति सम्मान और प्रेम दिखाया है।”
इमरान ने मुस्कुराते हुए अपने फैसले की वजह समझाई, “मैं यहां बड़ा हुआ हूं, एक ऐसे गांव में जहां मस्जिद की अज़ान और मंदिर की घंटियां एक साथ गूंजती हैं। हमारे पड़ोसी, चाहे किसी भी धर्म के हों, हमेशा हमारे सुख-दुख में साथ खड़े रहते हैं। यह कार्ड उस रिश्ते को सम्मान देने का एक तरीका है।”
ज़ोया ने आगे कहा, “हम चाहते थे कि हमारी शादी सिर्फ हमारे प्यार का नहीं, बल्कि हमारे गांव की एकता का भी जश्न बने। कार्ड पर भगवान गणेश को शामिल करना हमारे हिंदू दोस्तों का सम्मान करने का सही तरीका लगा।”
इस अनोखे निमंत्रण की खबर तेजी से फैल गई और आस-पास के गांवों और स्थानीय मीडिया तक पहुंची। यह गंगा-जमुनी तहज़ीब का प्रतीक बन गया—वह परंपरा जो भारत में सदियों से हिंदू और मुस्लिम संस्कृति को एक साथ पनपने देती आई है।
निकाह के दिन, पूरा गांव उत्सव में डूबा हुआ था। हिंदू और मुस्लिम सभी मिलकर वेन्यू को सजाने में जुटे थे। बिरयानी और पूरी-सब्जी की खुशबू ने सभी मेहमानों के स्वाद का ध्यान रखा। निकाह के बाद, दोनों समुदायों के बुजुर्गों ने नवविवाहित जोड़े को दिल से आशीर्वाद दिया।
समारोह के अंत में, एक बुजुर्ग पंडितजी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, “यह शादी केवल दो आत्माओं का मिलन नहीं है। यह हमें याद दिलाती है कि भारत की खूबसूरती इसकी विविधता में है। हम अलग हैं, लेकिन हम एक हैं। यह संदेश हमें हमेशा अपने दिल में रखना चाहिए।”
इमरान और ज़ोया के इस निमंत्रण की कहानी उम्मीद की एक किरण बन गई। यह दिखाती है कि बंटवारे के समय में भी, छोटे-छोटे प्रेम और सम्मान के कार्य खाईयों को पाट सकते हैं और समुदायों को करीब ला सकते हैं।
अमेठी में यह शादी का निमंत्रण केवल एक कागज का टुकड़ा नहीं रहा, बल्कि भारत की सांझी विरासत का प्रतीक बन गया। यह साम्प्रदायिक एकता का ऐसा उत्सव था, जिसे आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी।