NARAYANPUR: नवजात शिशुओं को एक हजार दिनों के स्तनपान और माताओं के उचित पोषण आहार के महत्व पर चिकित्सा विशेषज्ञों और पारंपरिक बैगाओं, सिरहा, गुनिया, पुजारी के बीच चर्चा

 

नवजात शिशुओं को एक हजार दिनों के स्तनपान और माताओं के उचित पोषण आहार के महत्व पर
चिकित्सा विशेषज्ञों और पारंपरिक बैगाओं, सिरहा, गुनिया, पुजारी के बीच चर्चा


यूनिसेफ, एमसीसीआर, उपजास और जिला स्वास्थ्य विभाग का संयुक्त आयोजन

नारायणपुर, 31 जनवरी 2024। नारायणपुर जिले में बुधवार को बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े विषयों पर केंद्रित कार्यशाला गोलावण्ड ग्राम में आयोजित किया गया।

उक्त स्वास्थ्य संबंधी विमर्श यूनिसेफ, मीडिया कलेक्टिव फ़ॉर चाइल्ड राइट्स, उपजास, जिला स्वास्थ्य विभाग एवं राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया।

डॉ टी एस कुंवर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, ने कहा कि, बच्चों के लिए नियमित टीकाकरण, उनके भविष्य के बेहतर स्वास्थ्य के लिए बेहद आवश्यक है तथा इसमें किसी तरह भी कोई कोताही नहीं होनी चाहिए। बच्चों में सम्पूर्ण टीका करण उनमे, गंभीर और असाध्य रोगों से लड़ने और बचने में कवच के रूप में कार्य करता है।

यूनिसेफ की जिला समन्वयक डॉक्टर राबिया बसरी, ने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के जरिये बच्चों में 12 गंभीर बीमारियों व उनसे बचाव, गर्भवती महिलाओं के पोषण, किशोरी बालिकाओं में मासिक धर्म के दौरान उचित देखभाल और स्वास्थ्य खान पान और टीकाकरण के बारे में जानकारी दी।

इस परिचर्चा में नवजात शिशुओं के लिए 1000 दिन तक आवश्यक स्तनपान, 0 से 5 वर्ष तक के बच्चों को नियमित टीकाकरण, संस्थागत प्रसव, गर्भवती माताओं का स्वास्थ्य जांच आदि विषयों पर और जिले के सदूर अंचल एवं शहरी क्षेत्र में संचालित कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से चर्चा किया गया।

इस महत्वपूर्ण कार्यशाल में, पारंपरिक चिकित्सको और स्वास्थ्य विशेषज्ञ के बेहतर तालमेल पर विचार रखते हुए, श्री डी श्याम कुमार, राज्य समन्वयक मीडिया कलेक्टिव फॉर चाइल्ड राइट्स ने कहा कि हमें हर हाल में बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, स्तनपान से बच्चों की रोग प्रतिरक्षक क्षमता बढ़ती है और माताओं को स्तन कैंसर से बचाव होता है।

डॉ बी एन बनपुरिया जिला टीकाकरण अधिकारी,ने पोलियो टीकाकरण से मिली सुरक्षा को तुलनात्मक ढंग से बताते हुए टीकाकरण के फायदे और 12 प्रकार की बीमारियों से बचाव होता है।

लोक प्रशिक्षक प्रमोद पोटाई ने कहा कि सर्प दंश पीड़ित को झाड़-फूंक करने की बजाय तत्काल हॉस्पिटल ले जाएं। गर्भवती महिलाओं का प्रसव घर में नहीं, बल्कि हॉस्पिटल में करवाएं।

समुदाय में सिरहा-गुनिया के प्रभाव का सकारात्मक उपयोग जन जागरूकता लाने में भी कर सकते हैं। आपकी एक छोटी सी सही सलाह किसी का जीवन भी बचा सकती है।

इसके साथ ही स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि हर हाल में गर्भवती माताओं को नियम पूर्वक उचित देखभाल, आहार एवं जरूरी दवाइयों के साथ साथ नियमित स्वास्थ्य जांच और पोषण आहार से सम्बंधित जांच को आवश्यक बताया। वहीं दूसरी ओर प्रसव पूर्व एवं प्रसव के बाद उचित देखभाल के लिए स्थानीय स्वास्थ्य सेवाओं के उपयोग और उससे होने वाले फायदों को बताया गया।

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में, बैगा, वुनिया, सिरहा के साथ समन्वित चर्चा में स्वास्थ्य संबंधित जानकारी एवं उनके विभिन्न जिज्ञासाओं का समाधान स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा विस्तार से दिया गया और साथ ही समन्वित प्रयास और एकरूपता के लिए कार्ययोजना पर भी चर्चा हुई।

कार्यक्रम में विशेष रूप से, डॉ परमानंद बघेल, स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी, स्वास्थ्य मित्र, और जीले के विभिन्न ब्लॉकों से आये, बैगा, गुनिया और सिरहा उपस्थित थे।

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