बंधवा तालाब के अस्तित्व पर खतरा, उपेक्षाओं से तालाबों के विरासत पर संकट
नारायणपुर – हमारी संस्कृति का एक अहम हिस्सा बंधवा तालाब अपने अस्तित्व की विरासत पर रो रहा है सरकारी उपेक्षाओं और निजी स्वार्थ ने आज तालाबों की ऐसी हालत कर दी है अब तालाब में पानी नहीं होता बल्कि शहर का गंदा पानी (गटर में तबादिल हो रहा हैं ।)
नारायणपुर तालाबों का धार्मिक व रस्मों से संबंध बहुत पुराना है। हाल के जमाने तक पीने के लिए पानी कुएं से निकाला जाता था। इसके जलस्तर को कायम रखने के लिए तालाब होते थे। ये तालाब आज भी जलसंचयन का बड़ा व सरल माध्यम है। धार्मिक आयोजनों के साथ सिंचाई का महत्वपूर्ण साधन तालाब हुआ करता है।
तालाबों के अस्तित्व पर संकट
वर्तमान परिवेश में तालाबों पर संकट छाता जा रहा है। कुछ तो सरकारी स्तर पर उपेक्षा का कुछ वातावरण व कुछ आम लोगों की उदासीनता के कारण तालाब का अस्तित्व संकट में हैं। तालाब क्या सूख रहे, हमारी सांस्कृतिक व धार्मिक विरासत सूख रही है। शादी विवाह में तालाब पूजन की सदियों पुरानी परंपरा तालाबों के सूखने के कारण विलुप्त होती जा रही है।
हिंदू रीति रिवाज के अनुसार परिवार में किसी व्यक्ति का निधन होने पर शव का अंतिम संस्कार करने के बाद शुद्धिकरण और बाल (केश) दान करने के लिए तालाब में ही किया जाता हैं।
तालाब के सही रख-रखाव की जरूरत
बारिश अच्छी होने के बावजूद साफ सफाई नहीं होने के कारण भी तालाब सूख रहे हैं। अतिक्रमण से भी तालाबों के अस्तित्व पर संकट पैदा हो गया है।
तालाबों की समय रहते सफाई कर दी जाती तो धार्मिक विरासत की रक्षा स्वयं होने लगेगी। इससे शहर का जलस्तर नींचे गिरता जा रहा है। पिछले तीन सालों से सौंदर्यकरण के नाम पर तालाब को खाली किया गया हैं , ये कहकर की एक साल में तालाब को अच्छे से सफाई और सुंदर बनाया जाएगा इधर तालाबों के अतिक्रमण को रोकने का भी स्थानीय स्तर से कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। नतीजतन धार्मिक विरासत की रक्षा नहीं हो पार ही है।
क्या हो रही है समस्या
बंधवा तालाब को देवताओं ने बनाया है ।
शहर के बुजुर्गों का कहना है तालाब को देवताओं ने बनाया है तालाब यहां प्राकृतिक रूप से पोखर हुआ करता था , जिसे जन सहयोग से नारायणपुर की जनता ने कई महीनों खोदकर बड़ा बांध का रूप दिया है। जिसके कारण इस तालाब का नाम बंधवा तालाब रखा गया हैं।
नए कलेक्टर विपिन मांझी ने कहा 31 जनवरी को करेंगे बंधवा तालाब का भ्रमण