सुरक्षा पर विचार करने DGP, ADG, और IG पहुंचे मुख्यालय, इन महीने बड़ी घटना को अंजाम देते हैं नक्सली, जानिए क्या है खतरनाक TCOC प्लान

 नारायणपुर – सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आज मुख्यालय पहुँचे DGP अशोक जुनेजा ,ADG नक्सल ऑपरेशन विवेकानंद सिन्हा और बस्तर आईजी पी सुन्दराज क्षेत्र में लगातार घट रही घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए सुरक्षा के रूपरेखा तैयार करने के लिए आज विशेष बैठक की जा रही है,

4 महीने बड़ी घटना को अंजाम देते हैं नक्सली, जानिए क्या है खतरनाक TCOC प्लान?

 

नक्सली ज्यादातर बड़ी घटनाओं को फरवरी से मई के बीच में अंजाम देते हैं. 4 महीने नक्सलियों का टैक्टिकल काउंटर ऑफ ऑफेंसिव कैंपैन (TCOC) पीरियड कहलाता है. आखिर क्या होता है TCOC

पुलिस अधीक्षक कार्यालय में नक्सल मामलों पर बैठक जारी ,लगातार बढ रहे नक्सल गतिविधियों पर अंकुस लगाने बनेगी नई रणनीति।

नक्सल प्रभावित क्षेत्र में में 4 महीने बड़ी घटना को अंजाम देते हैं नक्सली, जानिए क्या है खतरनाक TCOC प्लान ।

छत्तीसगढ़ पिछले 4 दशकों से नक्सलवाद का दंश झेल रहा है. 4 दशकों में नक्सलियों ने कई बड़ी वारदातों को अंजाम दिया है. पुलिस के जवानों को भारी नुकसान पहुंचा है. जनप्रतिनिधी, आम नागरिक भी बड़ी संख्या में मारे गए है. नक्सलियों के शांत बैठने को बैकफुट पर समझा जाता है. लेकिन अचानक नक्सली फिर एक बड़ी घटना को अंजाम देते हैं. घटना से नक्सलियों की दहशत दोबारा बन जाती है.

नक्सल मामलों को समझने वालों की मानें तो नक्सली ज्यादातर बड़ी घटनाओं को फरवरी से मई के बीच में अंजाम देते हैं. इन 4 महीनों को नक्सलियों का टैक्टिकल काउंटर ऑफ ऑफेंसिव कैंपैन (TCOC) समय कहा जाता है. बीते कई सालों में अब तक TCOC के दौरान सैकड़ों जवान शहीद हो चुके हैं. आखिर क्या होता है TCOC और क्यों इस दौरान नक्सली बड़ी घटना को अंजाम देते हैं.

 

बस्तर पुलिस और अर्ध सैनिक बल बखूबी जानते हैं कि फरवरी से मई माह तक के 4 महीने नक्सल गतिविधियों का केंद्र होता है. इस समय नक्सली पूरी तरह अटैकिंग मोड में होते हैं. रणनीतियां बनाकर जमीन पर उतारने में सारी ऊर्जा खर्च करते हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो टैक्टिकल काउंटर ऑफ ऑफेंसिव कैम्पेन (TCOC) पीरियड होता है. इस दौरान हिंसक गतिविधियों के साथ खूनी संघर्ष का तांडव मचा कर पुलिस और आमजनों में दहशत का संदेश देते हैं.

 

इसके साथ ही मौजूदगी दिखाकर संगठन को मजबूत बनाने का काम करते हैं. दरसअल TCOC नक्सलियों का एक अभियान है. इस अभियान के तहत नक्सली ज्यादा से ज्यादा बस्तर में तैनात सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाने के लिए पूरी तरह से एक्टिव रहते हैं. इन 4 महीनों में ये भी देखा गया है कि TCOC नक्सलियों के बड़े विंग्स की ओर से अंजाम दिया जाता है. खासकर पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) प्लाटून नंबर 1 और 2 के सभी नक्सली अत्याधुनिक हथियारों से लैस होते हैं. प्लाटून नंबर 1 और 2 के नक्सली प्रशिक्षण प्राप्त कर 4 महीनों में नए लड़ाकों को ट्रेनिंग देते हैं. मुठभेड़ के दौरान भी ट्रेनिंग चलती है. यूं कहा जाए कि नक्सली इन 4 महीनों में खूनी आंतक मचाते हैं. साथ ही पुलिस और आम जनों के बीच खौफ और दहशत का संदेश देते हैं.

 

क्या होता नक्सलियों का TCOC?

 

TCOC (टैक्टिकल काउंटर ऑफ ऑफेंसिव कैंपेन) के तहत नए लड़ाकों को नक्सली संगठन से जोड़ते हैं और जोड़ने का काम आमतौर पर पतझड़ के बाद शुरू होता है. नक्सली नए लड़ाकों को सिखाते हैं कि सही समय पर हमला कैसे करना है? रियल टाइम प्रैक्टिस और एंबुश में कैसे जवानों को फंसा कर मारा जाए? इसके अलावा ट्रेनिंग में ये भी बताया जाता है कि फायरिंग में कैसे शहीद जवानों के हथियार लूटने हैं? इसी अवधि में नक्सली संगठन का विस्तार करते हैं. नए सदस्यों को पुलिस पर आक्रमण, हथियार प्रशिक्षण और अन्य शस्त्र कला और गुरिल्ला वार का प्रशिक्षिण मिलता है. इसके अलावा व्यापारियों, ठेकेदारों, ट्रांसपोर्टरों और सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों से वसूली कर साल भर का फंड इकट्ठा करते हैं. बाकी 8 माह नक्सली मौका मिलने या पुलिस की रेकी कर किसी चूक का इंतजार कर छोटी वारदातों को अंजाम देते हैं.

 

 

 

 

Exit mobile version