मन की बात मे प्रधानमंत्री मोदी ने नारायणपुर जिले के विश्व प्रसिद्ध माता मावली मेला का उल्लेख करते हुए उसकी प्रशंसा की
जिले वासियो मे खुशी की लहर
नारायणपुर-आज मन की बात के 91वे कड़ी मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नारायणपुर जिले के ऐतिहासिक विश्व प्रसिद्ध माता मावली मेला का उल्लेख करते हुये देशवासियो से मेला देखने का आवाह्न किया। भारतीय जनता पार्टी नारायणपुर के द्वारा नगर के पुराना बसस्टैंड मे टेलिविजन के माध्यम से इसका सीधा प्रसारण देखा और जैसे ही इस कड़ी मे मावली मेले का उल्लेख हुआ उपस्थित लोगो मे खुशी की लहर दौड़ पड़ीं ।इस दौरान भाजपा जिला उपाध्यक्ष रतन दुबे व भाजपा नेता प्रताप मंडावी ने कहा की आज नारायणपुर जिलेवासियो के लिये खुशी का पल रहा मन की बात मे प्रधानमंत्री मोदी जी ने आदिवासी संस्कृति की अनूठी झलक को प्रदर्शित करने वाले विश्व प्रसिद्ध माता मावली मेले का नाम लेते हुए उसकी प्रशंसा की जिससे क्षेत्र के मूल निवासियों में प्रसन्नता की लहर देखने को मिली हम सभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुये धन्यवाद ज्ञपित करते है।इस अवसर भाजपा नेता संदीप झा,अशोक कर्मकार,सुदीप झा,प्रशांत सिंह,राहुल पटेल,साधन भद्र,आकाश राजपूत सहित अन्य भाजपा पदाधिकारी व गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।ज्ञात हो यह मेला ” मेला एक ऐसा उत्सव है जिसमे आदिवासियों की पुरानी परंपराओं और रीति-रिवाजों की कई अलग अलग झलक देखने को मिलती है। नारायणपुर माता मावली मेला विश्व प्रसिद्व मेला माना जाता है।माता मावली मेला बस्तर का सबसे प्राचीन मड़ई-मेलों में से एक है। जो लोक कला और संस्कृति का संगम है मालवी मड़ई में अंचल के आदिवासियों की लोक कला और संस्कृति पुरानी परंपराओं और रीति-रिवाजों की झलक देखने को मिलती है।यह मेला संस्कृति और परम्पराओं का हिस्सा है जो सदियों से चलता आ रहा है माता मावली मेला में लगभग 84 परगना के देवी देवता शामिल होते है जिसके बाद मावली मंदिर के पास पिपल पेड़ के नीचे नगाड़ों थाप पर अपना शक्ति प्रदर्शन करते है।माता मावली मेला में 84 परगना के पधारे देवी देवता माता मावली मंदिर से आंगा, डोली, छत्र, झंडा आदि लेकर मार्ग में परम्परा और रीति रिवाज से नाच गान, उछल कूद करते हुए पूरे मेला में परिक्रमा करते है माता मावली मेला लगभग एक सप्ताह तक लगा हुआ रहता है।
जिससे देखने नारायणपुर के आस-पास के अलावा देश विदेश से भी शैलानी इस मेला का आंनद लेने पहुँचते है माता मावली मेला प्राचीन काल से लगातार भरता आ रहा है। किवदंतियों के अनुसार यह मड़ई आज से लगभग 800 वर्ष पूर्व से भी अधिक समय से आयोजित हो रहा है।माता मावली मेला में स्थानीय लोगों के सगे-संबंधी दूर-दूर से यहां की लोक, कला, संस्कृति, रीति-रिवाज और परम्पराओं से रूबरू होने एवं देखने प्रति वर्ष हजारों की संख्या में आते हैं, इस मेला में लोग दूर दूर से आकर अपनी कलाओं का प्रदर्शन करते हैं, इस मेले का प्रमुख आकर्षण “कोकोरेंग नृत्य ” होता है । इस नृत्य को अबूझमाड़ सहित जिले भर के आदिवासी मेले के पहली रात को रात भर पारंपरिक नृत्य करते हैं और दूसरे दिन मेले से अपने जरूरत के बहुत सारी सामग्रियों का क्रय भी करते हैं।