हर दिन -हर महीने क्या खेती से आमदनी मुमकिन है दिन ब दिन बढ़ती खाद और दवाई की कीमत से कैसे छुटकारा पाए ,आने वाली पीढ़ी या मौजूदा पीढ़ी अपनी खेती की जमीन ना बेचे उसके लिए क्या करें: किसान भाइयों के लिए रोचक जानकारी

हर दिन -हर महीने क्या खेती से आमदनी मुमकिन है दिन ब दिन बढ़ती खाद और दवाई की कीमत से कैसे छुटकारा पाए ,आने वाली पीढ़ी या मौजूदा पीढ़ी अपनी खेती की जमीन ना बेचे उसके लिए क्या करें

 

मुख्य संपादक

एक छोटा और मध्यम किसान अपना गुजारा कैसे करें?

इन सभी सवालों का एक ही जवाब है।

          टिकाऊ खेती

टिकाऊ खेती का एक ही फार्मूला है

 

10%—20%—30%—40%

 

पहले आप पर जितनी भी खेती की जमीन है उसको दिए गए हिसाब से बाँट ले

 

फिर बाँटे गए भाग को दिए गए तरीके की खेती करें

 

1. 10% भाग मे तालाब बनवाये

इसमें मछली पालन, सिंघाड़े, कमल गट्टा की खेती करें

मछली हर गांव और कस्बे मे बिकती है 6 महीने से निकली चालू होती है और 9 -10 महीने तक चलती है

ये प्रमाणित हो चुका है की मछली के तालाब का पानी इस्तेमाल करने से फसल उत्पादन 30% तक बढ़ जाता है और यूरिया की खपत 75% तक कम हो सकती है

2. 20% भाग मे बाग़ (फल+इमारती लकड़ी) लगाने के साथ ही पशुपालन (गाय+भैंस+बकरी) करें और खाद निर्माण इकाई (जैविक खाद+टॉनिक+दवाई) बनाये

बाग़ मे विभिन्न तरह के फलो(आम, नींबू, अमरुद, केला, पपीता, आड़ू, चीकू, करोंदा, जामुन, बेल) के पेड़ लगाए जिससे हर समय कोई ना कोई फल मौजूद रहे जो लगातार आमदनी दे

इन्ही की छाँव मे कुछ भाग मे पशुपालन करें, कुछ भाग मे चारा लगाए, और कुछ भाग मे खाद इकाई लगाए

खाद इकाई लगाने से आपकी लागत (रासायनिक खाद, टॉनिक और दवाई) मे करीब 60%-90% की बचत होती है, साथ ही कमाई का एक बेहतरीन जरिया भी होता है आज गोबर और फसल अवशेष से बनी जैविक खाद rs 600 से rs 1000 क्विंटल बिक रही है

 

3. 30% भाग मे सब्जी (लहसुन, अदरक, हल्दी, लौकी, तोरई, भिंडी, बैगन), दाल (उड़द, मूंग, अरहर),तेल (सरसों, तिल), फूल (गेंदा, गुलाब, गुलदऊदी) करें

 

सब्जी 45-50 दिन से फसल देने लगती है और करीब 6 महीने तक रोज देती है इससे रोजाना आमदनी होती है

दाल और तेल वाली फसले 3-4 महीने मे आमदनी देती है साथ ही मिट्टी की ताकत बहुत बढाती है

फूल (मंदिर, शादी, त्यौहार) मे जाते है ये भी 2 महीने मे शुरू हो जाते है और करीब 2-3महीने चलते है साथ ही फसल सुरक्षा मे रस चूसक कीट, इल्ली और उखटा रोग से बचाते है

4. 40% भाग मे अनाज और नकदी फसल करें (गेहूं, धान, आलू, सोयाबीन, कपास, गन्ना ) या क्षेत्र अनुसार प्रमुख फसल करें

 

टिकाऊ खेती के फायदे

 

1. हर महीने या रोज की आमदनी होती रहती है

 

2. 15-20 फसल होने से किसी भी फसल का भाव कम होने या मौसम के नुकसान से काफ़ी हद तक बचा जा सकता है

 

3. थोड़ी थोड़ी 15-20 फसले मिल कर एक अच्छा वजन हो जाने से, मंडी ले जाने का खर्च भी कम हो जाता है

 

4. सब्जियाँ, दलहन, तिलहन, अनाज के फसल अवशेष, पशुओ का खाना होते है

गोबर, चारा से मछली का भोजन हो जाता है

पेड़ की पत्तियाँ, फसल अवशेष, गोबर से जैविक खाद और टॉनिक बन जाते है

खरपतवार, गौमूत्र, नीम से बहुत तरह की कीटनाशक बनती है

इस तरह एक फसल के अवशेष दूसरी के भोजन होता है तो खर्च बहुत हद तक कम हो जाता है

 

5. इस तरह की खेती मे आपको रोज काम होता है जिससे लेबर को परमानेंट यानि पूरे साल काम मिलता है तो लेबर भी आपके पास काम करना चाहेगा क्यूंकि उसको सारे साल रोजगार मिलेगा

 

6. सबसे बढ़ी बात खुद की सब्जी, दाल, तेल और अनाज होने से किसान की रसोई का ख़र्च आधा रह जाता है, और शुद्ध खाने से बीमारी से होने वाले खर्च और परेशानी से भी बचा जा सकता है

 

इस खेती के तरीके मे सहफसली खेती, मल्टी लेयर खेती, मेड़ प्रबंधन, पानी का सही इस्तेमाल भी कर सकते है जिससे एक ही खेत मे 3-5 तरह की फसल ली जा सके ।

#दंडकारण्य_दर्पण

 

Exit mobile version