छत्तीसगढ़ : नारायणपुर जिला में या नया अन्ना भेंट करने के पश्चात ही आदिवासी समुदाय नई फसलों का उपभोग करता है। पूरे जिला में आमा तिहार बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। दरअसल यह पर्व आम लगाओ – अमर हो जाओ की अवधारणा को प्रतिपादित करते हुए वर्षों पहले आम रोपने वाले अपने पूर्वजों को याद करने का महापर्व है।
मान्यता यह भी है।
गांव में आमा खाई त्योहार से पहले लोग आम नहीं खाते, किसान देवी देवतओं को बीज अर्पित करते हैं-
आदिवासी अपने गांव में आज मंगलवार को हो रहे आमा खाई का त्योहार के बारे में बता रहे हैं| आमा खाई त्योहार उनके गांव का पारंपरिक त्योहार है| ये त्योहार कई वर्षो से वे मना रहे हैं| आम के पेड़ पर फल लगने पर ये त्योहार अक्ती के (अक्षय तृतीया) के दिन मनाते हैं| इस दिन किसान अपने आने वाले अच्छे फसल के लिये देवी देवतओं को बीज समर्पित करते हैं| साथ ही नये फल को देवताओं को अर्पित कर घरो में उपयोग करते हैं| मेहमानों को बुलाते हैं| पूजा पाठ करते हैं| गांव में लोगो की मान्यता है कि इस त्योहार से पहले आम को खाने से उनके जीवन में बुरा प्रभाव पड़ता है| स्वास्थ्य खराब होने जैसे स्थिती होती है| जीवन में बाधा उत्पन्न होता है|