जंगल कटेंगे, पहाड़ खनन की बलि चढ़ जाएँगे तो अबूझमाड़ कैसे बचेगी

यह बात समाजसेवी हरेराम मिश्रा ने जंगल और पर्यावरण संरक्षण पर बात छेड़ा है ।

जंगल कटेंगे, पहाड़ खनन की बलि चढ़ जाएँगे तो अबूझमाड़ कैसे बचेगी।

अगर जंगल कट जाएँगे और पहाड़ लोह खनन की बलि चढ़ जाएँगे तो अबूझमाड़ खत्म हो जायेगी।

यह बात समाजसेवी हरेराम मिश्रा ने जंगल और पर्यावरण संरक्षण पर बात छेड़ा है ।

 

मिश्रा ने कहा छत्तीसगढ़ की पैदावार 30 प्रतिशत से ज्यादा घटेगी ।
पानी खेतों के लिए जहर बन जाएगी। आमदई पर वे बोले कि आमदई के 100 वर्ग किमी के अन्दर जितने भी छोटे-बड़े जलस्रोत हैं उन्हें नहीं बचाया जा सकेगा नक्शा बदल जायेगा। अबूझमाड़ के जल ग्रहण क्षेत्र में प्राकृतिक खेती होती है, लोह चुंड से जहरीला बन जाएगी रसायनिक खेती से भी उपज नहीं हो पाएगा । उन्होंने कहा राजनीति मत कीजिये। संरक्षण ऐसा हो कि उदाहरण बने शब्दों में नहीं परिणाम लेकर आये।

आमदई पहाड़ से निकलने वाली माड़ की नदियों को बचाना अबूझमाड़ की सुरक्षा है।

जल पुरुष हरेराम मिश्रा ने कहा माडीन नदी बहुत सारी छोटी-छोटी नदियों से मिलकर बनी है और जब तक हम अपनी छोटी-छोटी चीजों को ठीक नहीं करते तब तक बड़ी चीज ठीक नहीं हो सकती। इसलिए अबूझमाड़ की जितनी भी सहायक नदियाँ हैं उन सबकों संरक्षित करने के लिये काम करना होगा। उन्होंने कहा नदियों को सबसे ज्यादा गंदा करने वाले का गोवा खदान के मालिक। क्योंकि सारी गंदा पानी नदियों में प्रवाहित कर हो रहा हैं।

भूजल संरक्षण जरूरी
भूजल दोहन रोकें

अबूझमाड़ में बहने वाली नदियां को खेती के लिये भूजल दोहन को रोकना होगा। उन्होंने बताया कि नदी के नीचे ग्राउंड वाटर होता है, जो गर्मियों में भी बुलबुलों के शक्ल में बाहर निकलता है।

ईको सेंसेटिव जोन बने

आमदई बचाओ अभियान के हरिराम मिश्रा ने सुझाव दिया कि अब इसके किनारे कल्चरल और ईको सेंसेटिव जोन विकसित किये जाने चाहिये। किनारों पर मेडिटेशन सेंटर बने। वहीं जीवों की वनस्पति की सुरक्षा के लिये ईको सेंसेटिव जोन हों। इसके नैसर्गिक स्वरूप को बरकरार रखा जाए।

रह-वासियों का रखें ख्याल

मिश्रा का कहना है कि अबूझमाड़ संरक्षण के लिये जरूरी है कि इसके आस-पास रहने वाले रहवासी विशेषकर आदिवासी समुदाय का ख्याल रखा जाए। उन्हें रोजगार दिए जाएँ, ताकि उनकी जंगल व नदी पर निर्भरता कम हो। नदी के संरक्षण के लिये उनकी सहभागिता करवाएँ।

वही पौधे लगाए जाएँगे जो कटाव रोके पानी अवशोषित करे।

अबूझमाड़ में सांस्कृतिक आर्थिक व प्रतिबंधित क्षेत्र भी बनाए

रिवर जोन और फ्लड जोन चिन्हित किए जाए
आमदई पहाड़ में खनन नहीं होना चाहिए।

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