बावड़ी करीन माता की ताकत पहचानिए, पूरी होती है मनोकामनाए है।
देश की हजारों साल पुरानी संस्कृति, सभ्यता, हमारे रीति-रिवाज को बचाने के लिए, कितने बड़े बलिदान दिए हमारे पूर्वजों ने : दीपक बैज बस्तर सांसद
नारायणपुर : बस्तर अबूझमाड़ की समृद्धि में उसकी विरासत का बड़ा योगदान है. हम स्थानीय लोग भले ही ना समझें. लेकिन विदेशों में इस तथ्य से भली भांति वाकिफ हैं
पूरी दुनिया में सांस्कृतिक विरासत को रचनात्मक उद्योग में बदलने की कोशिश जारी है. इसके लिए लगातार कोशिश की जा रही है.
लगभग नारायणपुर शहर से 26 किलोमीटर दूर बावड़ी गांव बसा हुआ है जहां की संस्कृति सैकड़ों साल पुरानी बताई जा रही है। जिस गांव में सैकड़ों साल पुराना मंदिर हर मूर्तियां विस्थापित है यह वह जगह है जहां पर बावड़ी करीन माता (कालिका मां ) का कई बरसो पुराना मूर्ति है जिसे बावड़ी करील माता कहा जाता है,
3 साल में एक बार बावड़ी करीन माता से मिलने उसके बेटा बेटियां बावड़ी गांव में आते हैं। बताया जाता है बावड़ी करीन माता की बेटा और बेटियां घोर अबूझमाड़ और लगभग 6 जिला में देवताओं के रूप में पूजा जाता है इन देवी-देवताओं को 3 साल में एक बार बावड़ी गांव लाया जाता है जहां इनकी माता विराजमान है।
हमारी संस्कृति हजारों साल पुरानी है.
उदाहरण के तौर पर हमारा देश त्योहारों का देश है. हर महीने में कोई ना कोई बड़ा त्योहार दस्तक जरुर देता है. अगर हम इसकी ढंग से देखरेख करें तो त्योहारों के इस उल्लास में विदेशी पर्यटक भी शरीक हो सकते हैं.