अबूझमाड़ में रोजगार के दूर-दूर तक अता पता नहीं ,प्रशासन  ने बीज खाद में सहयोग की अबूझमाड़ के किसानों के विकास के लिए  कृषि से बंपर पैदावार हुई केले की खरीदारी के लिए ग्राहक नहीं केला खेत में ही सड़ रहा ।

अबूझमाड़ में रोजगार के दूर-दूर तक अता पता नहीं ,प्रशासन  ने बीज खाद में सहयोग की अबूझमाड़ के किसानों के विकास के लिए  कृषि से बंपर पैदावार हुई केले की खरीदारी के लिए ग्राहक नहीं केला खेत में ही सड़ रहा ।

अबूझमाड़ के आकाबेड़ा के किसान को बाजार नही मिलने से केला की फसल हो रही है बर्बाद

नारायणपुर । नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ को सिर्फ नक्सली गतिविधियों और नक्सलगढ़ के नाम से जाना व पहचाना जाता था लेकिन इस अबूझमाड़ की तस्वीर बदलने के लिए छत्तीसगढ़ शासन ने कई कारगर कदम उठाते हुए इन इलाको में पुलिस कैम्प खोले जिससे कुछ इलाके नक्सल दहशत से अलग होकर विकास के पथ पर अग्रसर होने लगे है जिसकी बानगी आकाबेड़ा में भी देखने को मिली।

जहा अबूझमाड़ के एक बुजुर्ग किसान ने मेहनत से अपने खेत में केला की फसल लगाई और फसल भी बहुत अच्छी हुई । लेकिन किसान को अपनी फसल बेचने के लिए बाजार नही मिलने से केला की फसल बर्बाद हो रही है और कोई देखने वाला तक नहीं है । आकाबेड़ा से रहा है । जिला मुख्यालय अपनी फसल को बेचने लाने का कोई साधन नहीं होने से किसान बेबस और लाचार नजर आ रहा है । क्या ऐसे में अबूझमाड़ में बदलाव लाकर यहां विकास की बयार शासन लिखेगा जहा किसान को

अपनी फसल जिला मुख्यालय तक लाने कोई मदद नहीं मिल रही है। किसान की इससे पहले आलू प्याज की फसल भी लगभग दो ट्रक सड़कर खराब हो गया क्योंकि इसे बेचने के लिए बाजार तक पहुंचाने का साधन मुहैया नहीं हो पाने के कारण अब किसान परेशान और आगे इतनी मेहनत कर फसल नहीं उगाने की बात कहता नजर आ रहा है जो अबूझमाड़ में होने वाली विकास के पहिए के थमने की ओर इशारा करता नजर आ

ज्ञात हो की नारायणपुर जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर घोर नक्सल प्रभावित आकाबेड़ा का बुजुर्ग किसान सुमेहर मरकाम ने अपने खेत में कड़ी मेहनत कर केला की फसल लगाई और मेहनत का है।

फल भी रंग लाया केला की फसल काफी अच्छी हुई केला इतना हुआ की केले के वजन से केला का पेड़ तक गिरने लगा है । लेकिन इस बुजुर्ग किसान को अपनी फसल बेचने को बाजार नही मिलने से इसकी मेहनत पर पानी फिरता जा रहा है केला पेड़ो के साथ जमीन पर गिरकर खराब हो रहा है । जिला मुख्यालय नारायणपुर तक जाने को कोई सुविधा नहीं होने के चलते बुजुर्ग अपनी कड़ी मेहनत से लगाए गए केले की फसल को खराब होते देखने को मजबूर और बेबस नजर आ रहा है। अगर प्रशासन द्वारा ऐसे किसानों को मदद किया जाए तो अबूझमाड़ जैसा किसान अपनी मेहनत से अबूझमाड़ की तकदीर और तस्वीर बदलने की ताकत रखता

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