प्रेम समर्पण और त्याग की प्रतीक है गौरेया!

विश्व गौरैया दिवस:20 मार्च

प्रेम समर्पण और त्याग की प्रतीक है गौरेया!

विश्व गौरैया दिवस:20 मार्च

दंडकारण्य दर्पण

एक समय था जब सुबह होने का अहसास चिड़ियों की चहचहाहट से होती रही। नींद, गौरेयों की चहचहाहट के बीच खुलती। फिर दिनभर की व्यस्तता के बाद शाम होने का भी अहसास उनकी चहचहाहट ही कराती। लेकिन अब न वो आंगन रहे न ही नन्हीं चिरैया की वो चहचहाहट।

करीब एक दशक पहले तक की बात है जब गौरेया झुंड में हमारे या आसपास के घरों में चहचहाते हुए नजर आ जाती थीं। प्रेम और सुखमय वातावरण की प्रतीक मानी जाने वाली गौरेया की संख्या में पिछले कुछ सालों से लगातार गिरावट हो रही है। सुबह सवेरे चहचहाते हुए हमें नींद से जगाने वाली गौरेया अब लुप्त होने के कगार पर पहुंच गई है। घरों में गौरेया का अब वास नहीं रहा। विकास की अंधी दौड़ ने हमारी गौरेया को हमारे घरों से बेघर कर दिया है। इसको बचाने के लिए आमजन की सहभागिता बेहद आवश्यक है, नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब गौरेया को हमारी आने वाली पीढ़ी सिर्फ किताबों में ही देख पाएगी।

खानपान में रसायनों का प्रयोग और मोबाइल टाॅवर खतरा
प्राणी विज्ञान के जानकार डाॅ.अमित बताते हैं कि गौरेया का मानव जीवन से सीधा रिश्ता है। यह हमारे जीवन में रची बसी है। गौरेया ऐसी चिड़िया है जो मानव के रहन-सहन, खान-पान के बदलाव के साथ खुद को ढाल लेती है। चूंकि मानव जीवन में रसायनों का प्रयोग बढ़ रहा इसलिए उसके खानपान में भी रसायनों का प्रभाव बढ़ा। डाॅ.अमित की मानें तो मोबाइल टाॅवर भी इस नन्हीं सी जान के लिए खतरा बन रहे। टाॅवरों से निकलने वाली खतरनाक किरणें भी गौरेया के जीवन पर भारी पड़ रहे।

सिमटता आंगन भी एक बड़ा कारण
शहर से लेकर गांव तक बड़ी-बड़ी अट्टालिकाएं बन रही लेकिन आंगन सिमटता जा रहा। अब खुले घर नहीं बल्कि सुरक्षा की दृष्टि से ऐसे घर बन रहे जहां परिंदा भी न आ सके। इस विकास ने हमारी गौरेया को घर से बेघर कर दिया है। डाॅ. अनिल राठी कहते हैं कि दिन की शुरुआत गौरेया की चहचहाहट से पहले होती थी लेकिन अब गौरेया बीते दिनों की बात होती जा रही। सिमटते आंगन, कम होती हरियाली ने नन्हीं चिरैया का आशियाना उजाड़ दिया है।

पूर्वानुमान लगा लेती है गौरेया
प्राकृतिक आपदा का पूर्वानुमान गौरेया लगा लेती है। जानकार बताते हैं कि अगर किसी गांव में महामारी या बीमारी फैैलने वाली होती है तो गौरेया पहले ही वह गांव छोड़ देती है। इससे लोग पहले अनुमान लगा लेते थे कि कुछ अनहोनी होने वाली है। गौरेया मौसम का भी पूर्वानुमान लगा लेने में सक्षम है। कहते हैं कि अगर गौरेया धूल में नहाए तो समझिए रिमझिम बारिश होने वाली है।

बडे़ साहित्यकारों ने भी किया है जिक्र
शेक्सपियर सहित तमाम साहित्यकारों ने अपने साहित्य में गौरेया का जिक्र किया है। शेक्सपियर की चर्चित कृति हेमलेट में गौरेया है। गौरेया प्रेम की प्रतीक है।

गौरैया के बारे में यह भी जानें
-गौरेया प्रेम और वियोग दोनों की प्रतीक है। अकेली गौरेया जहां अकेलापन व विशाद की प्रतीक है वहीं समूह या जोड़ेे में गौरेया सक्रियता और चंचलता की प्रतीक हैं।

-विदेशों में गौरेया का टैटू बनवाने का प्रचलन है। यह असीमित प्रेम, किसी एक के प्रति समर्पण, त्याग का प्रतीक है।

– रूस और इंग्लैंड में कैदी छूटने वाले दिन अपने कलाइयों पर गौरेया का टैटू बनवाते हैं। माना जाता है कि यह टैटू उनको सही राह पर चलने का संदेश देता रहता।

– नाविकों में भी गौरेया का टैटू प्रसिद्ध रहा है। जाते वक्त नाविक दाहिने तरफ सीने पर गौरैया का टैटूू बनवाते थे जो इंगित करता कि वह यात्रा के लिए तैयार है। लौटते समय नाविक अपने बाएं छाती पर गौरेया का टैटू बनवाते जो उनकी सुरक्षित वापसी का प्रतीक माना गया है।
– इसाई धर्म में गौरेया पक्षी को दिव्य माना जाता है।

गौरतलब

वैज्ञानिक नाम- फ्रिजिला डोमेस्टिका
उंचाई- 11-16 सेंटीमीटर
वजन-20 से 40 ग्राम
कुल प्रजातियां- 26
घरों में रहने वाली प्रजातियों की संख्या- 17

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