विश्व प्रसिद्ध मावली मेला अब लुप्त होते जा रही है , ना ही आकर्षक पारंपरिक स्वागत द्वार है ना ही मेला व्यवस्थित ढंग से लगाया गया है दूरदराज से आए लोगोंको मेला में सिर्फ धूल ही धूल नजर आ रही है। परंपरागत नाम फॉर्मेलिटी
नारायणपुर में हो रही विश्व प्रसिद्ध मावली मेला इन दिनों काफी लोकप्रियता की चर्चा में है पर इसकी जमीनी सच्चाई कुछ और है।
नारायणपुर वासी कहते हैं पहले और आज के मेला में जमीन आसमान का फर्क है पहले मेला में काफी रौनक हुआ करती थी आज वह बात नहीं रही बस शासन प्रशासन फॉर्मेलिटी के तौर पर मेला का आयोजन कर रही है।
पहले मेला में प्रवेश द्वार आकर्षक का केंद्र हुआ करता था जो की अब वह प्रवेश द्वार जो कभी दूरदराज से आए लोग प्रवेश द्वार और मेला का तारीफ करते हैं नहीं थकते थे अब वह बात नहीं रही है मेला से प्रवेश द्वार को गायब कर दिया गया।
पहले परंपरागत होने वाले कार्यक्रम में लोग झूमा करते थे और कार्यक्रम रात भर हुआ करता था रात भर ढोला मदार की ताल पर लोग नाच गायन करते थे अब वह बात नहीं रही।
मेला में व्यवस्था ऐसी है कि आप खो जाएंगे।
मेला में सबसे पहले व्यवस्था किस प्रकार लगाया जाता है यहां मेला शुरू होने से पहले तय की जाती है पर मेला में आप देखोगे लोग परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
हर व्यक्ति अपना परिवार के साथ मेला जाना चाहता है पर मेला के व्यवस्था हो से हार कर इक्का-दुक्का ही मेला पहुंच रहे हैं दिन में धूल ही धूल रहती है और शाम रात में भीड़ दे आप हो जाएंगे आने जाने के लिए रास्ता इतना सकरा है कि लोग एक दूसरे का पैर रोंदते हुए चलते हैं लोग जहां चाहे वहां सामान बिछाकर बिक्री करते हैं जिसका सबसे बड़ा परेशानियों का सामना आम नागरिक को होता है।