साधारण लगने वाला गांव में अरंडी के पौधे, जाने अरंडी का तेल कितना लाभदायक हैं।
#सेहत संदेश
छत्तीसगढ़ के सभी गांव में अरंडी के पौधे आज भी हर कहीं उगे हुए देखे जा सकते है. गांव के लोग अरंडी को बहुत अच्छे से जानते है, जब भी कभी मोच आ जाती हैं अरंडी के पत्ते सबसे पहले याद आते है… वैसे अब स्थिति बदली हैं, जरा सा कुछ होने पर भी डॉक्टर,मेडिकल पर टूट पड़ते है.हमनें अपनी स्थिति भले ही बदल ली हैं लेकिन पौधे ने अपना गुण धर्म नही खोया है…।।
आज शहरी जगत में हर कहीं Castor-oil की चर्चा आपको सुनने को मिल जाएगी,उसके गुणों का बखान भी मिला जाएगा,,पर उसका सीधा इस्तेमाल कोई नही करता,ओर अधिकतर लोग पौधे को भी नही पहचानते…।।
अरंडी के तेल का उपयोग हम वर्षो से करते आये है…जोड़ों के दर्द में इसकी मालिश करने पर तुरंत आराम मिलता है…वहीं ठंड में जब एड़िया फटती हैं तो इसको लगाया जाता हैं…आपको ध्यान होगा हमारे बड़े बुजुर्ग चमड़े की मोजड़िया पहनते थे,उन मोजड़ियो में अरंडी का तेल लगाने से वो काफी नरम हो जाती थी…।
आज भी आयुर्वेद में अंरडी की बहुत ज्यादा डिमांड है…यह तो सफोला खाद्य तेल का एक प्रमुख घटक है …गुजरात,मध्यप्रदेश सहित देश के कई हिस्सों में इसकी खेती होती है….।
वर्तमान में समय मे रोगों से बचने के लिए समाज जैविक खेती की ओर लौट रहा हैं, ऐसे में अरंडी उन किसानों के लिए बहुत उपयोगी होगी, इसका तेल व खली भूमि के लिए अमृत साबित होगी,,,,।
हमें पता है पुराने समय मे ओर आज भी कुछ लोग अरण्डी के तेल का उपयोग अपने अनाज को सुरक्षित रखने के लिए करते थे…गेंहू, दाल ,चावल एवं अन्य अनाज में तेल को गर्म करके अनाज के साथ मिक्स करके डालने से इन अनाज में किट नही लगते है ,,,,,,।
दंडकारण्य दर्पण