विश्व प्रसिद्घ मावली मेला का अनुमति देवताओं ने तय की देव समिति में तारीख 23 फरवरी से प्रारंभ होगा मेला , बरसों पुरानी लगभग 600 साल पुराना है इतिहास 4 राज्यों के आदिवासियों का केंद्र हुआ करता था नारायणपुर मावली मेला ।
सलाहकार- बृजमोहन देवांगन
नारायणपुर- विश्व प्रसिद्घ मावली मेला 23 फरवरी से शुरू हो रहा है। इसका इतिहास करीब 600 साल पुराना है। हर साल आयोजित होने वाले बस्तर के सबसे पुराने मेले में नारायणपुर संस्कृति को करीब से देखने के लिए बड़ी संख्या में विदेशी सैलानी भी आते हैं। बुजुर्गों के कहे अनुसार मेले में चार राज्यों के आदिवासी नारायणपुर मेला आते थे जिसमें महाराष्ट्र,उड़ीसा, कर्नाटक (तेलंगाना )’झारखंड के देवी देवताओं को नारायणपुर मेला में लाया जाता था, बस्तर संभाग के सभी देवता उपस्थित होते हैं मेला में और शिरकत कर खुशहाली की कामना करते हैं। मेला स्थल की ढाई परिक्रमा के बाद मेला आयोजन की अनुमति देवी-देवताओं द्वारा दी जाती है। ढोल नगाड़ों की थाप पर माता मंदिर से लेकर मेला स्थल तक देवी-देवताओं की सवारी मुख्य आकर्षण होती है।
आसपास की पूरे क्षेत्र में आदिवासियों के जीवनयापन, परंपरा, संस्कृति और मान्यता में समानता है जो इन्हें आपस में जोड़ती है। इनके जीवन में एकरूपता है। नारायणपुर के विश्व प्रसिद्ध मावली मड़ई में बस्तर के संपूर्ण क्षेत्र के आदिवासियों का आगमन होता है।