Mulberry: शहतूत खाने के ये हैं जबर्दस्त फायदे
खट्टा-मीठा और रसीला फल जो गांव के बाग बगीचे ,घर की चारदीवारी या फिर खेतों के मेंड़ पर आसानी से देखने को मिल जाता हैं। शहतूत जितना रसीला और मीठा होता है, उतना ही ज्यादा मात्रा में इस में एंटीआक्सीडेंट पाया जाता है ! गरमी के मौसम में शरीर को ज्यादा पानी की जरूरत होता है.
इसके सेवन से पानी की कमी को दूर किया जा सकता है ! पौष्टिकता की नजर से देखें तो शहतूत में विटामिन सी, अम्ल, एंटीआक्सीडेंट व खनिज काफी मात्रा में पाए जाते हैं। पोटेशियम और मैंगनीज जैसे खनिजों से युक्त शहतूत में आयरन, कैल्शियम और फास्फोरस भी पाए जाते हैं.
शहतूत खाने से पाचन शक्ति अच्छी रहती है. ये सर्दी-जुकाम में भी बेहद फायदेमंद है.यह यूरिन से जुड़ी समस्याओं से लेकर आंखों की रोशनी बढ़ाने तक एवं बढ़ती उम्र के लक्षणों को जल्दी आने से भी रोकने में काम आता है । शहतूत खाने से लीवर से जुड़ी बीमारियों में राहत मिलती है. साथ ही यह किडनी के लिए भी बहुत फायदेमंद है.
शहतूत के पत्तों को घाव या फोड़े पर लगाना भी फायदेमंद होता है। इसके प्रयोग से घाव बहुत जल्दी भर जाते हैं। अगर आपको खुजली की दिक्कत है तो इसके पत्तों का लेप फायदेमंद रहेगा।शहतूत की पत्तियों को पानी में उबालकर उस पानी से गरारे करने से गले की खराश दूर हो जाता है।
शहतूत का पेड़ लगाना बेहद आसान है। बस पेड़ से टहनियां काट कर उस की 6-8 इंच लंबी कटिंग को मिट्टी में लगा लिजिए। 6 महीने के बाद ही 3-4 फुट तक का पेड़ तैयार हो जायेगा। शहतूत की लकड़ी से बैट बनता है । इस के साथ ही हाकी स्टिक, टेबल टेनिस रैकेट वगैरह भी शहतूत की लकड़ी से ही बनाए जाते हैं।
इतना ही नहीं शहतूत में और भी कई गुण पाए जाते हैं, जैसे- इसके नियमित प्रयोग से आंखों की गड़बड़ी, लंग कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर से बचा जा सकता है। अगर आप झुर्रियों से परेशान हैं तो अब चिंता करने की कोई बात नहीं। इसके लिए शहतूत का जूस पीजिए। आपका चेहरा चमकदार और ताजा हो जाएगा।
भारत में शहतूत छत्तीसगढ़, पंजाब, कश्मीर, उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश एवं उत्तरी-पश्चिमी हिमालय में पाया जाता है। यह चीन में भी पाया जाता है। शहतूत की खेती जापान, पाकिस्तान, बलूचिस्तान, अफगानिस्तान, श्रीलंका, वियतनाम एवं सिंधु के उत्तरी भागों में कृषि होती है।