कदंब : सबको लुभाने वाले इस फल के फायदे जान हैरान रह जाएंगे आप

कदंब : सबको लुभाने वाले इस फल के फायदे जान हैरान रह जाएंगे आप

दंडकारण्य सेहत संदेश।

कदंब को देव वृक्ष माना जाता है । भगवान श्री कृष्ण को सबसे प्रिय कदंब उनकी मनमोहक लीलाओं का अवलोलक रहा है। सुभद्रा कुमारी चौहान जी की कविता ‘यह कदम का पेड़ अगर मां होता यमुना तीरे ,मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे ‘हर हिंदीभाषी के जुबान पर होता है।आयुर्वेद मैं भी कदंब का बहुत बखान किया गया है और इसमें कई रोगो की निवारण करने की क्षमता है।

इसका पेड़ बहुत तेजी से बढ़ता है और इसकी ऊंचाई 20-40 फ़ीट की मध्यम कोटि तक होती है। पत्ते महुवा से मिलते हैं, पर थोड़े छोटे और चमकीले होते हैं। वर्षा ऋतु पर इस पर फूल आते हैं। इसके डंठल पर चक्राकार पीले गुच्छे के रूप में बहुत छोटे सुगंधमय फूल होते हैं। कहा जाता है कि बादलों की गर्जना से इसके फूल अचानक खिल उठते हैं। पीला पराग झरने के बाद, पकने पर लाल हो जाते हैं। इसे ‘हरिद्र’ और ‘नीप’ भी कहा जाता था। फूलों में से इत्र निकाला जाता है। औरतें इनसे अपना शृंगार करती हैं। इसकी पत्ती,छाल,फल समान मात्रा में लेकर काढा पीने से टाईप २ डायाबिटीज ठीक होता है।

कदंब को देव वृक्ष माना जाता है । भगवान श्री कृष्ण को सबसे प्रिय कदंब उनकी मनमोहक लीलाओं का अवलोलक रहा है। सुभद्रा कुमारी चौहान जी की कविता ‘यह कदम का पेड़ अगर मां होता यमुना तीरे ,मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे ‘हर हिंदीभाषी के जुबान पर होता है।आयुर्वेद मैं भी कदंब का बहुत बखान किया गया है और इसमें कई रोगो की निवारण करने की क्षमता है।

इसका पेड़ बहुत तेजी से बढ़ता है और इसकी ऊंचाई 20-40 फ़ीट की मध्यम कोटि तक होती है। पत्ते महुवा से मिलते हैं, पर थोड़े छोटे और चमकीले होते हैं। वर्षा ऋतु पर इस पर फूल आते हैं। इसके डंठल पर चक्राकार पीले गुच्छे के रूप में बहुत छोटे सुगंधमय फूल होते हैं। कहा जाता है कि बादलों की गर्जना से इसके फूल अचानक खिल उठते हैं। पीला पराग झरने के बाद, पकने पर लाल हो जाते हैं। इसे ‘हरिद्र’ और ‘नीप’ भी कहा जाता था। फूलों में से इत्र निकाला जाता है। औरतें इनसे अपना शृंगार करती हैं। इसकी पत्ती,छाल,फल समान मात्रा में लेकर काढा पीने से टाईप २ डायाबिटीज ठीक होता है।

कदंब के फल का आकार गोल है। कदंब के फल के ऊपर फूल बनते हैं। इसको जहर प्रतिरोधी दवा के रूप में भी माना जाता है। बहुत सारे लोग सांप के जहर को काटने के लिए इसके पत्तों का इस्तेमाल करते हैं।
कदम्ब के फायदे-

बुखार आने पर-

बुखार की समस्या होने पर आप पांच तुलसी के पत्तों के साथ पांच ग्राम कदम्बिका की छाल को मिलाकर काढ़ा तैयार कर लें। इस काढ़े का सेवन थोड़े दिनों तक लगातर करते रहें इससे बुखार जल्दी ठीक हो जाएगा।

घाव ठीक करने के लिए-

घाव यदि ठीक ना हो रहे हों तो कदम्ब की पत्तियों और छाल को पानी में उबालें। फिर उसे गुनगुना होने पर उससे घावों को साफ करें। आपके घाव जल्दी ठीक हो जाएगें।

बच्चों में पाचन की समस्या-

बच्चों की पाचन शक्ति कमजोर होती है। इसलिए आप बच्चे को नियमित रूप से धूलिकदम्ब के फल या रस का सेवन कराएं।

पैरों की चोट व सूजन में-

सूजन और चोट लगने पर आप कदम्ब की छाल और पत्तों को लें और उसे पानी में उबाल लें और उसमें थोड़ा नमक मिला लें और उससे पैरों की सिकांई करें। इस उपाय से पैरों की चोट व सूजन ठीक हो जाती है।

शरीर की दुर्बलता-

यदि शरीर में कमजोरी हो तो आप राजकदम्ब के फलों से बने चूर्ण का सेवन नित्य पानी के साथ करें।

दंडकारण्य दर्पण

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