साधारण घास की तरह दिखने वाला लेमन ग्रास सर से पांव तक की बीमारियों से निजात दिला सकता है।
दंडकारण्य सेहत संदेश
लेमन ग्रास का नाम सुनते ही आपके दिमाग में जरूर हरी-हरी घास की तस्वीर आई होगी। साथ ही आप सोच रहे होंगे कि भला घास भी क्या स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकती है? बस यहीं आप धोखा खा गए। आपको स्पष्ट कर दें कि हम यहां कोई ऐसी-वैसी घास नहीं, बल्कि लेमन ग्रास की बात कर रहे हैं। लेमन ग्रास के औषधीय गुण के बारे में सुन कर आप हैरान रह जाएंगे। यह सिर से लेकर पैर तक की कई बीमारियों से निजात दिलाने में सहायक हो सकती है।
लेमनग्रास एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइंफ्लामेंटरी और एंटीसेप्टिक गुणों से भरपूर होती है, जो कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से आपको बचाए रखने में मददगार होती है। वहीं दिमाग तेज करने के लिए भी यह बेहतरीन है।
शरीर के विभिन्न हिस्सों में होने वाले दर्द को समाप्त करने के लिए लेमनग्रास की चाय पीना काफी लाभकारी हो सकता है। खास तौर से सिरदर्द और जोड़ों के दर्द में यह बेहद फायदेमंद है।
पेट से संबंधित समस्याएं जैसे पेट दर्द, गैस, पेट फूलना, कब्ज, अपच, जी मिचलाना या उल्टी आना जैसी समस्याओं में भी यह असरकार औषधि है। इसके अलावा यह पेट में होने वाली ऐंठन में भी फायदेमंद है
आयरन से भरपूर होने के कारण लेमनग्रास का उपयोग एनीमिया के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है। इसके नियमित सेवन से शरीर में आयरन की कमी को पूरा किया जा सकता है।
मानसिक समस्याओं में तो यह फायदेमंद है ही, शरीर के आंतरिक भागों की सफाई में मदद करती है। इतना ही नहीं कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लड़ने में भी लेमनग्रास बेहद मददगार है।
लेमन ग्रास की खेती।
पिछले कुछ समय से पारंपरिक खेती से निकलकर किसान लेमन ग्रास की खेती एक्सपेरिमेंटल तौर पर कर रहे हैं। मार्केटिंग की बेहतर समझ रखने वालों किसानों की ना सिर्फ इनकम बड़ी है बल्कि उन्होंने अपने आसपास रहने वाले लोग को एक नया रास्ता भी दिखाया है
इस पौधे से निकलने वाले तेल की बाजार में बहुत मांग है। लेमन ग्रास से निकले तेल को कॉस्मेटिक्स, साबुन और तेल और दवा बनाने वाली कंपनियां हाथों हाथ ले रही हैं। यही वजह है कि किसानों की इस फसल की ओर रूझान भी बढ़ा ।लेमनग्रास की किसानी ज्यादा मंहगी नहीं हैं। इसका एक पौधा केवल 75 पैसे में मिलता है। इसके अलावा अन्य फसलों की अपेक्षा इसमें बीमारियां भी कम लगती हैं। कीट लगने की संभावना भी ना के बराबर है, इसलिए इस फसल में कीटनाशक छिड़कने की जरूरत ही नहीं पड़ती। जब कीटनाशक का उपयोग ही नहीं होता है तो किसान अतिरिक्त खर्चे के बोझ से बच जाता है। पत्तियां कड़वी होने की वजह से जानवर भी इसे नहीं खाते हैं तो इसके रख रखाव पर भी ज्यादा ध्यान नहीं देना पड़ता है।”
भारत सालाना करीब 700 टन नींबू घास के तेल का उत्पादन करता है, जिसकी एक बड़ी मात्रा निर्यात की जाती है। भारत का लेमनग्रास तेल किट्रल की उच्च गुणवत्ता के चलते हमेशा मांग में रहता है। 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के वादे को पूरा करने की कवायद में जुटी भारत सरकार ने एरोमा मिशन के तहत जिन औषधीय और सगंध पौधों की खेती का रकबा बढ़ा रही है उसमें एक लेमनग्रास भी है।
सभी पौधों की तरह लेमनग्रास के पौधों को लगाने की भी एक विधि होती हैं। पौधों में पत्तियां ज्यादा से ज्यादा हो इसके लिए इसको एक-एक फीट के दूरी पर लगाया जाता है। पौधा लगाने के बाद यह लगभग छह महीने में तैयार हो जाता है। उसके बाद हर 70 से 80 दिनों पर इसकी कटाई कर सकते हैं। साल भर में इसकी पांच से छह कटाई संभव है। यही कारण है कि एक बार पौधा लगाने के बाद किसान को लगभग सात साल तक दोबारा पौधा लगाने से छुट्टी मिल जाती है। इस पौधे को बारहमासी मुनाफा देने वाले पौधे की भी संज्ञा दी जाती है।
एक एकड़ में लगाए गए लेमनग्रास के पौधे से एक कटाई में तकरीबन पांच टन तक पत्तियां निकलती है।”पांच टन की पत्तियों से 25 लीटर तक तेल निकाला जा सकता है। इसी तरह साल भर में छह कटाई से 100 से 150 लीटर तेल की प्राप्ति हो सकती है। अगर एक लीटर तेल 1200 से 1300 रुपये प्रति लीटर बिके तो भी किसान को तकरीबन एक लाख तक का मुनाफा आसानी से मिल सकता है।लेमनग्रास की खेती सूखा प्रभावित इलाकों जैसे मराठवाड़ा, विदर्भ और बुंदेलखंड तक में की जा रही है। सीमैप के गुणाभाग और शोध के मुताबिक एक हेक्टेयर लेमनग्रास की खेती में शुरु में 30000 से 40000 हजार की लागत आती है। एक बार फसल लगाने के बाद साल में पांच से छह कटाई ली जा सकती हैं, जिससे करीब 100-150 किलो तेल निकलता है। खर्चा निकालने के बाद एक हेक्टेयर में किसान को प्रतिवर्ष 70 हजार से एक लाख 20 हजार तक का शुद्ध मुनाफा हो सकता है।