बथुआ भाजी जिसे हम सब फालतू समझते हैं वह कई रोगो का एकलौता समाधान है!

जिसे लोग खरपतवार समझते हैं, ओ है संजीवनी

बथुआ भाजी जिसे हम सब फालतू समझते हैं वह कई रोगो का एकलौता समाधान है!

दंडकारण्य_दर्पण_सेहत

बथुआ आजकल आपको खेतो में और पगडंडियों पर उगा हुआ दिख जाएगा।
यह एक अति गुणकारी साग है,,सर्दियों में इसकी सब्जी हर घर मे बनती हैं, सब्जी में यदि थोड़ी से छाछ या दही मिला ले तो फिर स्वाद का आनंद ही कुछ और होता हैं,इसके पराठे भी बड़े स्वादिष्ट लगते है।

बथुवे में क्या नहीं है?? बथुवा विटामिन B1, B2, B3, B5, B6, B9 और विटामिन C से भरपूर है तथा बथुवे में कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, मैगनीज, फास्फोरस, पोटाशियम, सोडियम व जिंक आदि मिनरल्स हैं। 100 ग्राम कच्चे बथुवे यानि पत्तों में 7.3 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 4.2 ग्राम प्रोटीन व 4 ग्राम पोषक रेशे होते हैं। कुल मिलाकर 43 Kcal होती है।

जब हम बीमार होते हैं तो आजकल डॉक्टर सबसे पहले विटामिन की गोली ही खाने की सलाह देते हैं.. गर्भवती महिला को खासतौर पर विटामिन बी, सी व लोहे ( Iron) की गोली बताई जाती है और बथुवे में वो सबकुछ है ही, कहने का मतलब है कि बथुवा पहलवानो से लेकर गर्भवती महिलाओं तक, बच्चों से लेकर बूढों तक, सबके लिए अमृत समान है….यह साग प्रतिदिन खाने से गुर्दों में पथरी नहीं होती…।

बथुआ रबी की फसल का पौधा है. अक्सर ये गेहूं,चना,आलू,दलहन की फसल के साथ खर-पतवार के रूप में उगता है…इसे गरीबो का साग भी कहा जाता है.…प्राचीनकाल से इसे सब्ज़ी के रूप में प्रयोग किया जा रहा है…..इसकी पत्तियों को दाल के साथ,या अकेला ही,या फिर आलू के साथ मिलाकर सब्ज़ी के रूप में प्रयोग किया जाता है….
बथुआ का स्वाभाव गर्म है, ये सर्दियों में शरीर को गर्म रखता है. नज़ला ज़ुकाम और खांसी से बचता है…..दाल के साथ सब्ज़ी बनाने पर ये दालों की खुश्की काम कर देता है. ….इससे दाल ज़्यादा पाचक बन जाती है और नुकसान नहीं करती……।
इसमें रेचक गुण है, ये पेट को ढीला करता है…..बथुए में पाए जाने वाले आवश्यक मिनरल विशेषकर लोहा नया खून बनाने में मदद करता है…..बथुए की सब्ज़ी एक सम्पूर्ण भोजन है….इसके रेशे आंतो की सफाई कर देते हैं. जिन लोगों को पुराने कब्ज़ की समस्या है वह अगर बथुए का नियमित इस्तेमाल करें तो कब्ज़ की समस्या से छुटकारा मिल सकता है…..।
बथुआ का सेवन पथरी से निजात दिलाता हैं इसमें क्षार की मात्रा अधिक होती हैं….।
इसके काले बीज प्रोटीन,फास्फोरस,कैल्शियम और पोटेशियम से प्रचुर होते है… ।
बथुआ भाजी ब्लड सर्कुलेशन को बढाता है. जिनका ब्लड प्रेशर कम रहता है उनके लिए अच्छी दवा है….सर्दियों में इसका नियमित इस्तेमाल हार्ट-अटैक के खतरे से बचाता है….
जो लोग ल्यूकोडर्मा या सफ़ेद दाग की समस्या से परेशान हैं उनके लिए बथुआ एक गुणकारी ओषधि है.
आयुर्वेद में इसे त्रिदोषनाशक बताया गया है …बालों के प्राकृतिक रंग के लिए यह आंवले की तरह गुणकारी है ….इसे खाने से दाँतों की समस्या भी दूर होती है और पायरिया में आराम मिलता है तथा मुंह की बदबू कम होती है…..
बथुआ का साग चर्म रोग नाशक और कृमिनाशक होता है…नीम की पत्तियों के साथ इसकी पत्तियाँ खाने से रक्त शुद्ध होता है तथा पीलिया में गिलोय के साथ इसका रस सम मात्रा में लाभ पहुंचाता है. मासिक अनियमितता में इसके बीज और सोंठ का चूर्ण गर्म पानी के साथ लाभ देता है… प्रसव के उपरांत संक्रमण में 15 दिनों तक बथुआ,अजवायन ,गुड़ और दसमूल का सेवन लाभकारी होता है …एनीमिया में इसके जूस के आश्चर्यजनक लाभ है ,किन्तु गर्भावस्था में इसके बीजों का सेवन हानिकारक हो सकता है…
बथुआ की एक और प्रजाति Chenopodium giganteuam जिसके डंठल लाल गुलाबी होते है,जिसे बड़ा बथुआ कहा जाता हैं ..हिमालय के क्षेत्रों में यह अधिक पाया जाता है और इसका पौधा 8 फिट तक लंबा होने से इसे ट्री स्पिनाच भी कहते है…।

तो मित्रो इस सर्दी में आप भी अधिक से अधिक बथुआ भाजी का उपयोग कीजिये.

बथुआ के बारे में यह बहुत कम जानकारी है ..इससे जुड़ी ओर भी कोई जानकारी हो तो अवश्य साझा करें.. ।।

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