बारिश खत्म होते ही
अपनी चमक बिखेरने वाला…#सत्यानाशी
स्वर्ण रूपी दूध से भरा #स्वर्णक्षीरी
खेती को रोगमुक्त बनाने वाला जैविक #किसानों का मित्र…।।
हमारे अंचल में
बचपन से ही बच्चो को सीख देते हैं कि इस पौधे के बीजो से दूर रहना चाहिए ये बड़े जहरीले होते हैं… पर बचपन में इसके फूलों से सिटी बजाने का मोह कहाँ छूटता है …आज भी सत्यानाशी का नदी तालाब के किनारे या बंजर जमीन पर काफी मात्रा में दिखाई देता है…।।
यह एक से तीन फीट तक ऊंचा रहता है,पूरा की पूरा पौधा कांटो से भरा होता है,यही कांटे इसकी सुरक्षा भी करते हैं…..।
सत्यानाशी को संस्कृत में कटुपर्णी, स्वर्णक्षीरी, #पीतदुग्धा, हिंदी में स्याकांटा, भड़भांड, पीला धतूरा, फिरंगीधतूरा, मराठी में मिल धात्रा, काटे धोत्रा, •दारूड़ी, आदि नामो से जाना जाता है…।
औषधीय गुणों का भंडार है सत्यानाशी…इसका पंचाग अनेक रोगों में लाभप्रद है…. पुराना से पुराना घाव यह ठीक करने में सक्षम है… सत्यानाशी के पत्ते का रस या तेल को लगाने से दाद दूर हो जाता है….वही इसके #पंचांग के रस का गुड़ के साथ सेवन दमा रोग में लाभकारी है..।
नोट- यह जहरीला पौधा हैं इसका औषधीय उपयोग अच्छे वैद्य की सलाह में ही करें..।।
सत्यानाशी से जुड़ी कोई जानकारी या अनुभव हो तो अवश्य साझा करें..।