CG: कुतुल मुख्य मार्ग पर 5 किलो से अधिक वजन वाले 3 आईईडी (इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) बरामद करना और उन्हें निष्क्रिय करना न केवल सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि स्थानीय आदिवासी समुदाय के लिए भी एक राहत की बात है।

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नारायणपुर-कुतुल मुख्य मार्ग पर मिला 3 नग आईईडी।
आदिवासी ग्रामीणों को नुकसान पहुंचाने के नीयत से माओवादियों के द्वारा लगाया गया था आईईडी।

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इससे पहले वर्ष 2024 में माओवादियों द्वारा लगाये गये आईईडी से 20 से अधिक निर्दाेष ग्रामीण मारे गये या गंभीर रूप से घायल हो गए।

यह घटना सुरक्षा बलों की सतर्कता और पेशेवर क्षमता को दर्शाती है। नारायणपुर-कुतुल मुख्य मार्ग पर 5 किलो से अधिक वजन वाले 3 आईईडी (इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) बरामद करना और उन्हें निष्क्रिय करना न केवल सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि स्थानीय आदिवासी समुदाय के लिए भी एक राहत की बात है।

 

 

. आईईडी की बरामदगी:

विस्फोटक उपकरण ग्रामीणों और सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से लगाए गए थे।

 

 

. सुरक्षा मानकों का पालन:

सुरक्षा बलों ने विस्फोटक उपकरणों को निष्क्रिय करते समय सभी आवश्यक सुरक्षात्मक उपाय अपनाए।

स्थानीय समुदाय की सुरक्षा:

 

यदि यह विस्फोट हो जाता, तो यह स्थानीय आदिवासी समुदाय के लिए विनाशकारी साबित हो सकता था। इस तरह की घटनाएं न केवल जान-माल का नुकसान करती हैं, बल्कि लोगों के मन में भय भी पैदा करती हैं।

 

यह कार्रवाई यह सुनिश्चित करती है कि सुरक्षा बल नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लगातार सक्रिय हैं और स्थानीय लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।

डीआरजी एवं बीडीएस टीम की संयुक्त कार्यवाही।

वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में नारायणपुर पुलिस के द्वारा लगातार क्षेत्र में सघन नक्सल विरोधी ‘‘माड़ बचाव’’ अभियान संचालित किया जा रहा है। इसी कड़ी में नारायणपुर से डीआरजी एवं बीडीएस के संयुक्त बल नक्सल विरोधी अभियान पर माड़ क्षेत्र की ओर रवाना हुऐ थे।

सुरक्षा बलों ने नारायणपुर-कुतुल मुख्य मार्ग पर 5 किलो से अधिक वजन वाले 3 आईईडी को खोजकर सुरक्षात्मक मानकों का पालन करते हुए उक्त बरामद तीनों आई.ई.डी. को निष्क्रिय किया गया, जिससे स्थानीय आदिवासी ग्रामीणों की मौत हो सकती थी या वे गंभीर रूप से घायल हो सकते थे।

इससे पहले वर्ष 2024 में माओवादियों द्वारा लगाये गये आईईडी से 20 से अधिक निर्दाेष ग्रामीण मारे गये या गंभीर रूप से घायल हो गये। उक्त आईईडी को माओवादियों द्वारा निश्चित ही आदिवासी ग्रामीणों एवं सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाने के नीयत से लगाया गया था। सुरक्षा बलों की सजगता और सतर्कता से आईईडी को बरामद कर निष्क्रिय किया गया। उक्त कार्यवाही में डीआरजी एवं बीडीएस टीम की विशेष भूमिका रही है।
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